राजस्थान के भीलवाड़ा में एक 4 माह की बच्ची की मौत के बाद उसके परिजन कोरोना के डर के चलते उसका अंतिम संस्कार करने में हिचक रहे थे। इस पर भीलवाड़ा में तैनात सब-डिविजनल अधिकारी ने बच्ची के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी निभायी। हालांकि जब अधिकारी ने बच्ची के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू की तो परिजनों और गांव के अन्य लोगों के मन से भी डर दूर हो गया और फिर वह भी अंतिम संस्कार में शामिल हुए।

अधिकारियों के अनुसार, बच्ची के परिजन बीते माह ही मुंबई से भीलवाड़ा के अपने गांव चवंड़िया पहुचे थे। बीती 23 मई को बच्ची के पिता कोरोना पॉजिटिव पाया गए थे। हालांकि बच्ची की मौत डायरिया के चलते हुए और उसका कोरोना टेस्ट निगेटिव आया था।

बच्ची का अंतिम संस्कार करने वाले एसडीओ महिपाल सिंह ने बताया कि ‘बच्ची का पिता 23 मई को कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। उसके बाद उसे इलाज के लिए भीलवाड़ा के अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया था। वहीं उसके परिवार को होम आइसोलेशन में रखा गया था क्योंकि उनका कोरोना टेस्ट निगेटिव आया था।’

सिंह के अनुसार, बच्ची डायरिया से पीड़ित थी और गांव वालों को लग रहा था कि वह कोरोना वायरस के कारण मरी है, इसलिए वह उसका अंतिम संस्कार करने से हिचक रहे थे। उन्होंने बताया कि पास के ही गांव में बच्ची के पिता के नाम का ही आदमी और उसकी बेटी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे।

सोशल मीडिया पर ये मैसेज फैला तो गांव वालों को उससे कन्फ्यूजन हो गया और उन्होंने बच्ची के अंतिम संस्कार से इंकार कर दिया। लोगों को डर था कि मृत बच्ची के संपर्क में आने से उन्हें भी कोरोना का संक्रमण होने का खतरा है।

इस पर एसडीओ महिपाल सिंह ने गुरुवार की सुबह गांव पहुंचकर खुद बच्ची का अंतिम संस्कार किया। इसके लिए एसडीओ ने खुद गड्ढा खोदा। गांव वालों ने जब अधिकारी को बच्चे का अंतिम संस्कार करते देखा तो फिर वह भी उनकी मदद में जुट गए।