उत्तर प्रदेश की सियासत में 2024 लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Chunav 2024) से ठीक पहले बड़ा भूचाल आया है। बीजेपी का 2018 का सपना 2024 में जाकर पूरा होता दिख रहा है और इस सपने के केंद्र में कुंडा विधानसभा से बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह यानी राजा भैया (Raja Bhaiya) हैं। 10 सीटों के लिए राज्यसभा में होने वाले चुनावों को लेकर BJP ने अपनी क्षमता से ज्यादा 7 के बजाए 8 उम्मीदवार उतारे हैं, 8वें उम्मीदवार अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के करीबी संजय सेठ बना दिए गए हैं। इसके चलते सपा की तीसरी सीट फंस गई है। अखिलेश यादव को उम्मीद थी कि उनका साथ पुराने साथी राजा भैया देंगे लेकिन उन्होंने भी बड़ा खेल कर दिया है।
दरअसल, 27 फरवरी यानी कल होने वाले राज्यसभा चुनावों को लेकर कुंडा के विधायक और जनसतत्ता दल लोकतांत्रिक के मुखिया रघुराज प्रताप सिंह यानी राजा भैया ने ऐलान कर दिया है कि राज्यसभा चुनाव के दौरान वे बीजेपी के प्रत्याशी के समर्थन में वोट करेंगे। राजा भैया की ही पार्टी के एक अन्य विधायक भी उनका ही साथ देने वाले हैं। राजा भैया ने कहा, “इस चुनाव में पार्टी बीजेपी का साथ देंगी। उनके पास सपा के लोग आए थे लेकिन हमारी पार्टी के वोट बीजेपी के प्रत्याशियों के पक्ष में जाएंगे।”
खास बात यह है कि जिस दिन से बीजेपी ने राज्यसभा के लिए अपने 8वें प्रत्याशी का ऐलान किया था, उस दिन से ही सपा और बीजेपी दोनों ही, अपने लिए जरूरी विधायकों को जुटाने पर लग गई थी। अखिलेश की तरफ से पार्टी प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम मिलने गए थे और दूसरी ओर बीजेपी की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी उनसे मुलाकात की थी। इसके अलावा सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद राजा भैया से लोकसभा और राज्यसभा के लिए समर्थन तक मांगा था। अखिलेस की तरफ से राजा भैया की दो लोकसभा सीटों की मांग तक स्वीकार कर ली गई थी लेकिन अंत में अब राजा भैया ने सीएम योगी और बीजेपी का ही साथ दिया है, जो कि सपा के लिए अब तक का सबसे बड़ा सियासी झटका है।
राजा भैया की गजब सियासत!
राजा भैया की सियासत की बात करें तो वे उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ और कौशांबी क्षेत्र में एक बाहुबली नेता के तौर पर जाने जाते हैं। वे कुंडा विधानसभा सीट से 7वीं बार 20222 में विधायक बने थे। पिछले चुनाव के पहले उन्होंने अपनी पार्टी यानी जनसत्ता दल का गठन किया था।, जिसके पास फिलहाल दो विधायक है।राजा भैया के सियासी इतिहास पर नजर डालें तो वे बीजेपी और बसपा की सरकार बचाने में कामयाब रहे थे और इसके चलते बीजेपी ने उन्हें कल्याण सिंह की सरकार में मंत्री भी बनाय था लेकिन गठबंधन सहयोगी बसपा सुप्रीमो मायावती उनके खिलाफ रही थी।
पूर्व सीएम मायावती जब सत्ता में आईं तो उनकी सरकार के कार्यकाल में राजा भैया के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस तक दर्ज किए गए। कुंडा विधायक को जेल भी जाना पड़ा था लेकिन सपा के शासन में आते ही राजा भैया के सिर से संकट के बाद हट गए थे। यहीं से राजा भैया मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के करीबी बन गए थे। सपा सरकार में वे मंत्री भी रहे। अधिकारी जिया उल हक की हत्या के केस में जब राजा भैया पर सवाल उठे थे तो अखिलेश के दबाव में उन्हें इस्तीफा तक देना पड़ा था।
कैसे आईं अखिलेश राजा भैया में दूरियां
हालांकि वे बाद में फिर मंत्री बन गए थे और 2017 तक मंत्री रहे थे। यह भी कहा जाता है कि अखिलेश बाहुबली छवि वाले नेताओं से दूरी बना रहे थे लेकिन मुलायम और शिवपाल की नजदीकी चलते उन्हें दोबारा अखिलेश की कैबिनेट में न केवल शामिल किया गया, बल्कि अहम विभागों की जिम्मेदारी भी मिली थी। इसके चलते ही 2017 के बाद अखिलेश और राजा भैया के बीच दूरियां बननी शुरू हो गईं थीं। 2018 में 2019 के लोकसभा चुनावों को लेकर सपा और बसपा के बीच गठबंधन की तैयारियां होने लगी थीं और इसी के तहत बसपा को भी एक प्रत्याशी राज्यसभा पहुंचाने का मौका मिल गया था लेकिन उसे झटका राजा भैया ने ही दिया था।
राजा भैया की मायावती से खास अदावत थी इसलिए उनका कहना था कि वे सपा और अखिलेश के साथ तो हैं लेकिन बसपा के प्रत्याशी को किसी भी कीमत पर वोट नहीं करेंगे। नतीजा ये बसपा का प्रत्याशी हार गया था और बीजेपी के प्रत्याशी ने बाजी मार ली थी। इसी के बाद से अखिलेश और राजा भैया के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई थीं। 2022 में सपा ने कुंडा सीट से लंबे समय बाद प्रत्याशी भी उतार दिया था, हालांकि राजा भैया फिर से जीतकर विधानसभा पहुंच गए थे।
2018 से शुरू हुई थी असल अदावत
बीजेपी ने 2018 में राजा भैया की मदद से राज्यसभा की सीट तो निकाल ली थी लेकिन वो राजाा भैया तोड़ने में अब कामयाब हो पाई है। अबकी बार उम्मीदवार भी सपा का है और राजा भैया के वोट की सपा को फिर जरूरत हैं और ऐसे में राजा भैया का सपा के विरोध में बयान देकर बीजेपी (BJP) को वोट देने का ऐलान करना बताता है कि राजा भैया और अखिलेश के रास्ते अब अलग हो गए हैं। राजा भैया के तेवर पिछले काफी वक्त से बदले हुए दिखे हैं।उन्होंने मौके-दर-मौके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी खूब प्रशंसा की है और सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सरकार का समर्थन भी किया है।
जो यह बताता है कि अब 2024 के लोकसभा चुनाव में राजा भैया पूर्वी उत्तर प्रदेश की सियासत में बीजेपी को समर्थन देकर नरेंद्र मोदी का कद और मजबूत कर सकती हैं, जिसके बदले उन्हें भी ईनाम मिल सकता है।