रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) ने सोमवार को उस आदेश को वापस ले लिया, जिसमें भर्ती परीक्षा में महिला अभ्यर्थियों को मंगलसूत्र और पवित्र धागा पहनने पर रोक लगा दी गई थी। नर्सिंग अधीक्षक परीक्षा के लिए जारी किए गए निर्देशों के अनुसार, रेलवे के एक सर्कुलर में पवित्र धागे और मंगलसूत्र जैसे धार्मिक प्रतीकों को पहनने वाले व्यक्तियों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई, जिससे हिंदू संगठनों के साथ-साथ भाजपा नेताओं ने भी नाराजगी जताई।

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा सांसद ब्रजेश चौटा ने केंद्रीय रेल राज्य मंत्री वी सोमन्ना के समक्ष यह मामला उठाया । उन्होंने एक्स पर लिखा, “यह बताते हुए खुशी हो रही है कि जब हमने इस मामले को उनके संज्ञान में लाया, तो केंद्रीय मंत्री वी सोमन्ना ने हस्तक्षेप किया और अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे भारतीय रेलवे ‘नर्सिंग सुपरिंटेंडेंट’ परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों से मंगलसूत्र और जनीवर जैसे धार्मिक प्रतीकों और आभूषणों को हटाने के लिए बाध्य न करें।”

अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे उम्मीदवारों को पवित्र धागे और मंगलसूत्र पहनने से न रोकें

मंगलसूत्र, काले मोतियों और सोने से बना एक हार है, जिसे हिंदू महिलाएं विवाह का पवित्र प्रतीक मानती हैं। शुरुआत में, प्रतिबंधित सूची में आभूषण, चूड़ियां, पवित्र धागे, मंगलसूत्र, मोबाइल फोन, घड़ियां, ब्लूटूथ डिवाइस और कैलकुलेटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट शामिल थे। सोमन्ना ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे उम्मीदवारों को पवित्र धागे और मंगलसूत्र पहनने से न रोकें।

पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स

मंगलसूत्र और पवित्र धागे उतरवाने पर मचा था बवाल

यह घटनाक्रम हाल ही में कर्नाटक के कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET) के दौरान हुए विवाद के बाद हुआ है, जिसमें परीक्षा में बैठने से पहले उम्मीदवारों से पवित्र धागे उतार लिए गए थे। शिवमोगा, बीदर और धारवाड़ से ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें अधिकारियों ने पवित्र धागे काट दिए या उन छात्रों को प्रवेश से वंचित कर दिया, जिन्होंने उन्हें उतारने से इनकार कर दिया था।

ताजा विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की आलोचना की। उन्होंने कहा, “भाजपा एक बात कहती है और दूसरी करती है। परीक्षा के लिए उम्मीदवारों से मंगलसूत्र और जानिवार उतारने पर जोर देना गलत है। ऐसे आदेश वापस लिए जाने चाहिए।” पढ़ें- जारी हो गया यूपीएससी एनडीए 1 का रिजल्ट, यहां Direct Link से चेक करें परिणाम