कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को दावा किया कि चार श्रम संहिताएं श्रमिकों के अधिकारों और संगठनों को कमज़ोर कर उनके हक़ की आवाज़ को दबाने के लिए लागू की गई हैं। उन्होंने मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘आज, जनसंसद में देश भर की मज़दूर यूनियनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात हुई, जिस दौरान नयी श्रम संहिताओं पर उनके साथ विस्तृत और गंभीर चर्चा की।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इन 4 नए लेबर कोड को लेकर वो बहुत चिंतित हैं, उनके अनुसार ये कानून श्रमिकों के अधिकारों और संगठनों को कमज़ोर कर उनके हक़ की आवाज़ को दबाने के लिए बनाए गए हैं।’’ गांधी ने कहा, ‘‘उनकी चिंताओं और सुझावों को ध्यान से सुना, और इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए उनकी आवाज़ उठाने का वादा किया है।’’
राहुल गांधी ने उठाया प्रदूषण का मुद्दा
वहीं, लोकसभा में शुक्रवार को पक्ष-विपक्ष में उस समय सहमति देखने को मिली, जब नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने वायु प्रदूषण को राष्ट्रीय आपदा बताते हुए इस पर विस्तृत चर्चा की मांग की। सत्ता पक्ष ने भी बिना किसी टकराव के गंभीरता से लेते हुए विस्तृत विमर्श के लिए सहमति जताई।
यह भी पढ़ें- देश की संसद में होगा प्रदूषण पर मंथन, राहुल गांधी के प्रस्ताव को सरकार ने मान लिया
राहुल ने शून्यकाल के दौरान कहा कि दिल्ली सहित देश के अधिकांश बड़े शहर जहरीली हवा की चपेट में हैं। लाखों बच्चे फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे हैं। कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। बुजुर्गों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कोई वैचारिक या राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि देश के भविष्य और करोड़ों नागरिकों की सेहत से जुड़ा सवाल है।
राहुल ने कहा कि इस चुनौती पर राजनीति से ऊपर उठकर चर्चा होनी चाहिए। आरोप-प्रत्यारोप से आगे बढ़ते हुए समाधान के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री मोदी देश के हर बड़े शहर के लिए अगले पांच-दस वर्षों का एक वैज्ञानिक, व्यवस्थित और क्रियान्वयन योग्य रोडमैप पेश करें। भले ही प्रदूषण तुरंत खत्म न हो, लेकिन दिशा स्पष्ट हो और आने वाले वर्षों में इसके दुष्प्रभाव को कम किया जा सके।
यह भी पढ़ें- पार्टी बैठक में तीसरी बार नहीं पहुंचे शशि थरूर, कांग्रेस नेता ने बताई यह वजह
