लोकसभा में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर बहस हुई। विपक्ष की ओर से लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। वहीं राहुल गांधी के ठीक बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे बोलने के लिए खड़े हुए और कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए। राहुल गांधी ने कहा था कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वाले पैनल में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और वह खुद हैं लेकिन उनके रहने का कोई मतलब नहीं है।
राहुल को निशिकांत दुबे ने दिया जवाब
राहुल के सवाल का जवाब बीजेपी के सांसद निशिकांत दुबे ने दिया। निशिकांत दुबे ने कहा कि 1980 में इलेक्टोरल रिफॉर्म को लेकर सवाल पूछा गया था। आडवाणी जी ने संसद में सवाल पूछा था। उसका जवाब दिया गया था, “चुनाव आयोग बहुत ईमानदारी से कम कर रहा है इसीलिए विपक्ष के किसी नेता को उसके सिलेक्शन प्रोसेस में शामिल करने की जरूरत नहीं है।”
बीजेपी ने भी दिया राहुल को जवाब
राहुल गांधी ने बयान पर बीजेपी ने भी जवाब दिया। बीजेपी ने X पर एक पोस्ट में लिखा, “राहुल गांधी कहते हैं कि चुनाव आयुक्तों का चयन मुख्य न्यायाधीश और विपक्ष के नेता वाली समिति द्वारा किया जाता था। क्या राहुल गांधी कांग्रेस सरकार के दौरान किसी ऐसे चुनाव आयुक्त का नाम बता सकते हैं जिसे मुख्य न्यायाधीश या विपक्ष के नेता वाली समिति द्वारा चुना गया हो? यह समिति नए कानून बनने तक अस्थायी रूप से बनाई गई थी।”
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बीजेपी ने आगे लिखा, “कांग्रेस के प्रधानमंत्री अब तक चुनाव आयुक्तों की सीधी नियुक्ति करते रहे हैं। क्या राहुल गांधी अपने यूपीए शासन को भूल गए हैं? 2005 में सोनिया गांधी ने नवीन चावला को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था। सोनिया के पास क्या अधिकार थे? 2012 में, 2014 के लोकसभा चुनावों की देखरेख के लिए नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति होनी थी। लालकृष्ण आडवाणी जी ने कांग्रेस को मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन के लिए एक कॉलेजियम बनाने का सुझाव दिया था। कांग्रेस ने इसे नजरअंदाज कर दिया और सीधे वीएस संपत को मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त कर दिया, और राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से तुरंत मंज़ूरी भी ले ली। नियुक्ति में विपक्ष को विश्वास में भी नहीं लिया गया। आज विपक्ष के नेता मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन के लिए बनी समिति का हिस्सा हैं। नए मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन में रचनात्मक सहयोग देने के बजाय, राहुल गांधी सिर्फ़ नाटक कर रहे हैं।”
