कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने करीब दो महीने तक अनुपस्थित रहने के बाद अपनी पहली सार्वजनिक उपस्थिति में साफ किया कि वह भूमि अधिग्रहण विधेयक का पुरजोर तरीके से विरोध करेंगे और सरकार को इसे वापस लेने के लिए झुकने को मजबूर करेंगे।
रविवार की किसान रैली से पहले अपने आवास पर विभिन्न राज्यों के किसानों व उनके प्रतिनिधियों के साथ राहुल ने दो संवाद सत्रों में चर्चा की। पार्टी नेताओं के अनुसार कांग्रेस उपाध्यक्ष ने उन्हें बताया कि वह और उनकी पार्टी राजग के भूमि अधिग्रहण विधेयक समेत किसानों के मुद्दे पर निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि उन्होंने मोदी सरकार के लाए गए नए भूमि कानून पर उनका विचार पूछा। यह भी पूछा कि बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि के कारण फसलों को कितना नुकसान हुआ और सरकार उनकी फसल को किस कीमत पर खरीद रही है।
करीब 50 मिनट के चर्चा सत्र में हिस्सा लेने वाले कुछ किसानों ने कहा कि जो लोग जमीनी मुद्दों को नहीं समझते और जिन्हें कृषि की जानकारी नहीं है, वे नीतियां बनाने में लगे हैं चाहे राजग सरकार हो या पूर्व की यूपीए सरकार हो। पार्टी सूत्रों ने बताया कि किसान रैली में राहुल ने इस मुद्दे पर विस्तार से बोलने का फैसला किया है। वह लोकसभा में भी बोल सकते हैं। संसद के बजट सत्र का दूसरा हिस्सा सोमवार से शुरू हो रहा है।
चर्चा सत्र के दौरान हरियाणा के भिवानी के कुछ बुजुर्ग किसानों ने उन्हें चौधरी राहुल के रूप में संबोधित किया क्योंकि वे अपनी ओर ध्यान खींचना चाहते थे। कुछ शिकायतें आईं कि किसान रैली का आयोजन ऐसे समय किया जा रहा है, जब फसलों की कटाई का समय है। लेकिन पार्टी के संवाद विभाग के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने इसे तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि किसानोें के मुद्दों को उठाने का कोई मौसम नहीं होता है।
पार्टी नेताओं ने कहा- राहुल ने किसानों से कहा कि वह उनकी समस्याओं के बारे में निर्णायक लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस लड़ाई को एक दिन, एक महीने या एक साल में खत्म नहीं होने देगी। वह सरकार को किसानों के समक्ष झुकने पर मजबूर कर देंगे। वह इस लड़ाई को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाएंगे। उनके साथ मुलाकात करने वाले शिष्टमंडल में भट्टा पारसौल गांव के किसान भी शामिल थे जहां 2011 में जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ राहुल ने पदयात्रा की थी। उसके बाद भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास व पुनर्स्थापन अधिनियम 2013 अमल में आया।
बंद कमरे में किसानों के साथ हुई इस बैठक में राहुल ने नए भूमि कानून का किसानों पर प्रभाव और देश में इसके बारे में समझ के बारे में विस्तार से चर्चा की। इसमें भट्टा पारसौल से दो शिष्टमंडल शामिल थे। चर्चा सत्र में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और मध्य प्रदेश के किसानों ने हिस्सा लिया।
कांग्रेस उपाध्यक्ष रविवार को किसान रैली को संबोधित करेंगे। इसे राहुल को नए सिरे से पेश करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है जो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी में नए सिरे से जान फूंकने का प्रयास करेंगे। सचिन पायलट ने कहा कि यह रैली ऐतिहासिक होगी। इसमें देशभर से दिल्ली में लाखों की संख्या में किसान हिस्सा लेंगे। जिस तरह से कुछ लोगों के फायदे के लिए किसानों को ठगा जा रहा है, हम उसे लेकर भाजपा का पर्दाफाश करना चाहते हैं। भाजपा छोटे किसानों की जमीन हथियाने की साजिश कर रही है।