Bihar Congress: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सोमवार को बिहार के दौरे पर हैं। राहुल गांधी 3 महीने में तीसरी बार बिहार पहुंचे हैं। बिहार में कुछ महीने बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में राहुल गांधी की कोशिश राज्य में कांग्रेस को फिर से मजबूत करने की है।

राहुल गांधी के ताबड़तोड़ दौरों के बीच बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस बिहार में किस वोट बैंक पर फोकस कर रही है?

राहुल गांधी ने कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई के इंचार्ज कन्हैया कुमार के नेतृत्व में निकाली जा रही यात्रा में भाग लिया। यह यात्रा कन्हैया के गृह नगर बेगूसराय में हुई और इसके बाद पटना में संविधान बचाओ बैठक में भी राहुल शामिल होंगे।

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बिहार में कांग्रेस लगातार संविधान बचाओ बैठक और अन्य कार्यक्रम कर रही है। इसके जरिए पार्टी अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी), दलित और मुस्लिम समुदाय तक पहुंचने की कोशिश कर रही है लेकिन पार्टी का मुख्य फोकस ईबीसी पर ही है। बिहार की आबादी में यह सबसे बड़ा जातीय या सामाजिक समूह है और कांग्रेस संविधान बचाओ बैठकों में इस समूह के नायकों के जीवन पर भी रोशनी डालेगी।

दलित नेता को दी कांग्रेस की कमान

याद दिलाना होगा कि बिहार में कांग्रेस ने हाल ही में प्रदेश संगठन में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी ने भूमिहार वर्ग से आने वाले राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह दलित नेता और विधायक राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। इसके साथ ही कांग्रेस ने चुनावी रणनीति को धारदार बनाते हुए कृष्णा अल्लावरु को राज्य में कांग्रेस का प्रभारी बनाया था। कन्हैया कुमार को भी पार्टी ने सक्रिय कर दिया है। ये तीनों ही नेता बिहार में कांग्रेस के लिए बड़ा रोल निभा सकते हैं।

बिहार की आबादी में दलित वोटों का हिस्सा करीब 15 प्रतिशत है। बिहार में जातीय जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में सबसे ज्यादा आबादी अति पिछड़े वर्ग की ही है। राज्य की आबादी में अति पिछड़ा वर्ग 36.01 फीसदी, पिछड़ा वर्ग 27.12 फीसदी, अनुसूचित जाति 19.65 फीसदी और सवर्ण समुदाय की आबादी 15.52 फीसदी है। बिहार की कुल आबादी में मुसलमान 17.70% हैं।

बिहार में इंडिया गठबंधन या महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, भाकपा, माकपा और भाकपा (माले) शामिल हैं। जबकि एनडीए गठबंधन में बीजेपी, जेडीयू, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा शामिल हैं।

राहुल गांधी के 3 महीने में तीसरी बार बिहार आने से यह पता चलता है कि कांग्रेस आरजेडी की छाया से बाहर निकलना चाहती है और उसकी कोशिश विधानसभा चुनाव में खुद को मजबूत करने की है। बिहार में कांग्रेस के तीन सांसद और 19 विधायक हैं। देखना होगा कि राहुल गांधी और कांग्रेस को उनकी इन कोशिशों में कितनी कामयाबी मिलती है?

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