कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात के सूरत की सेशन कोर्ट से गुरुवार (20 अप्रैल, 2023) को बड़ा झटका लगा है। मोदी सरनेम विवाद में कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें उन्होंने मानहानि के मामले में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई दो साल की सजा पर रोक लगाने की मांग की थी।
मोदी सरनेम विवाद में आपराधिक मानहानि के केस में राहुल गांधी को 23 मार्च को दोषी ठहराया गया और उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी। 3 अप्रैल को उन्हें कोर्ट ने जमानत दी थी। राहुल गांधी ने सजा पर रोक लगाने और दोषसिद्धी के संबंध में कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की थीं। 2019 के एक मामले में राहुल गांधी को यह सजा सुनाई गई थी। इसके अगले ही दिन उन्हें लोकसभा के सदस्य के रूप में भी अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
कोर्ट ने 27 पेज के जजमेंट में सिर्फ दो शब्दों में याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कोई कारण नहीं बताया सिर्फ इतना ही कहा- ‘एप्लीकेशन डिस्मिस्ड।’ कोर्ट ने कहा कि 23 मार्च, 2023 को कोर्ट की ओर से सुनाए गए फैसले और दोषसिद्धी पर रोक लगाने के लिए याचिकाकर्ता राहुल गांधी की ओर से दायर याचिका को खारिज किया जाता है। याचिका में राहुल गांधी के वकील ने कोर्ट में कहा कि अगर 23 मार्च के निचली अदालत के फैसले पर रोक नहीं लगाई, तो इससे कांग्रेस नेता की प्रतिष्ठा को अपूरणीय क्षति होगी। गुरुवार को जस्टिस आरपी मोगेरा ने सभी दस्तावेजों को पढ़ा और कहा- ‘याचिका खारिज।’
राहुल गांधी के पास अब क्या हैं विकल्प?
कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने कहा है कि वह इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों का उपयोग करेगी। निचली अदालत से झटका लगने के बाद राहुल गांधी के पास विकल्प अभी बाकी हैं। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब वह गुजरात हाई कोर्ट जाएंगे।
यह मामला साल 2019 का है। निचली अदालत ने 23 मार्च को राहुल गांधी को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में की गई टिप्पणी के लिए दोषी ठहराया था। रैली में उन्होंने कहा था कि मोदी सरनेम वाले सभी लोग चोर हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर आपराधिक मानहानि के मामले में कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी करार दिया था। उन्हें दो साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी जिसके एक दिन बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया।