Rafale deal: राफेल विवाद मामले में रक्षा मंत्रालय ने बुधवार (13 मार्च) को राफेल मामले में पुनर्विचार याचिकाओं के साथ दाखिल दस्तावेज को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये संवेदनशील बताया। मंत्रालय ने हलफनामा दायर कर कहा कि संवेदनशील कागजातों से खिलवाड़ करने वालों को दें दंड दिया जाए। केन्द्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि राफेल विमान सौदे के बारे में उसके फैसले पर दाखिल पुनर्विचार याचिका में लगाए गए दस्तावेज ‘‘राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील’’ हैं और वे लड़ाकू विमान की युद्धक क्षमता से संबंधित हैं।
शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में सरकार ने कहा है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी तथा कार्यकर्ता अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा दाखिल पुनर्विचार याचिका व्यापक रूप से वितरित की गयी हैं और ये देश के शत्रु और विरोधियों के पास उपलब्ध है।
हलफनामे में कहा गया है, ‘‘इससे राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ गई है। केन्द्र सरकार की सहमति, अनुमति या सम्मति के बगैर , वे जिन्होंने , इन संवेदनशील दस्तावेजों की फोटो प्रतियां करने और इन्हें पुनर्विचार याचिकाओं के साथ संलग्न करने की साजिश रची है और ऐसा करके ऐसे दस्तावेजों की अनधिकृत तरीके से फोटो प्रति बनाकर चोरी की है… ने देश की सार्वभौमिकता, सुरक्षा और दूसरे देशों के साथ मैत्रीपूर्ण रिश्तों को प्रतिकूल तरीके से प्रभावित किया है।’’
हलफनामे में कहा गया है कि यद्यपि सरकार ‘‘गोपनीयता बरतती है’’, पुनर्विचार याचिकाकर्ता संवेदनशील सूचनाऐं लीक करने के दोषी हैं जो समझौते की शर्तो का उल्लंघन है। इसमें यह भी कहा गया है, ‘‘याचिकाकर्ता राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा से संबधित मामले में आंतरिक गोपनीय वार्ता की चुनिंदा तौर पर और अधूरी तस्वीर पेश करने की मंशा से अनधिकृत रूप से प्राप्त इन दस्तावेजों का इस्तेमाल कर रहे हैं।’’
वहीं, दूसरी ओर राफेल लड़ाकू विमान सौदे के लिए केंद्र सरकार पर हमला करते हुए राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अलग से वार्ता की। राफेल सौदे पर उन्होंने कहा कि लड़ाकू विमान की क्षमता पर कोई सवाल ही नहीं है बल्कि भ्रष्टाचार का मुद्दा है और इसकी जांच कराए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘सवाल बस इतना है कि नरेंद्र मोदी और अनिल अंबानी ने 30,000 करोड़ रूपये चुराए…हम जांच चाहते हैं और (मैं) सौ फीसदी आश्वस्त हूं ..जांच होने पर उन्हें दोषी ठहराया जाएगा।’’