रक्षामंत्री मनोहर पर्रीकर ने कहा है कि 36 रफाल युद्धक विमानों की खरीदारी का अरबों डालर का सौदा अंतिम चरण में है। पर्रीकर ने बताया कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल के मद्देनजर भारतीय वायुसेना की फेहरिस्त के उन्नयन का नया खाका तैयार किया जा रहा है और भविष्य में कोई भी खरीदारी उसी के आधार पर की जाएगी। उन्होंने कहा कि रफाल युद्धक विमान पर फ्रांस के साथ बातचीत में 50 प्रतिशत आफसेट के प्रावधान जैसे जो मुद्दे आए थे, उन्हें ‘करीबन निपटा दिया गया है।’ रक्षामंत्री ने यह बताने से इनकार कर दिया कि अंतिम करार कब होगा। उन्होंने कहा, ‘यह कीमतों पर बातचीत के अंतिम चरण में है।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल अप्रैल में फ्रांस की अपनी यात्रा के दौरान घोषणा की थी कि भारत सरकार फ्रांस से एक करार के तहत उड़ान भरने की स्थिति में 36 रफाल विमान खरीदेगा।
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत और भी रफाल विमान खरीदने जा रहा है तो उन्होंने कहा, ‘फिलहाल, हम 36 (विमानों) के बारे में बात कर रहे हैं। मैं नहीं कह रहा हूं कि इसका मतलब यह है कि हम और खरीदने की सोच रहे हैं। अपनी वायुसेना के उन्नयन के लिए हम खाका तैयार कर रहे है। एक बार जब खाका तैयार हो जाता है और सरकार से मंजूर हो जाता है, हम उस खाके के अनुरूप बढ़ेंगे।’ पर्रीकर ने कहा कि इस खाके में ‘मेक इन इंडिया’ पहल का समावेश होगा।
रक्षामंत्री ने कहा, ‘एक विकल्प लाइट कांबैट एयरक्राफ्ट (तेजस) है। सिद्धांत रूप से, हम मौजूदा रूप में 20 एलसीए और कुछ सुधार के साथ 100 अन्य एलसीए खरीदने पर सहमत हुए हैं।’ भारत में विनिर्माण आधार स्थापित करने की वैश्विक युद्धक जेट विमान निर्माताओं की पेशकश पर पर्रीकर ने कहा कि नई नीति के तहत कोई फैसला किया जाएगा।
उम्मीद की जा रही है कि रक्षा मंत्रालय जल्द ही नई रक्षा खरीदारी कार्यविधि पेश करेगा जो सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप होगी। बहरहाल, पर्रीकर ने साफ किया कि देश में आधार स्थापित करने की इच्छुक कंपनियों को भारत की निर्यात नियंत्रण नीति अपनानी होगी।
रक्षामंत्री ने कहा, ‘हमारे आर्डर को अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही निर्यात का मामला आता है। यह 10-12 साल लेगा। जब तक अनेक संयंत्र नहीं हों तो दुनिया की बेहतरीन कंपनी भी साल में 16-20 से ज्यादा नहीं बना सकती। हमारे अपने आर्डर के लिए उत्पादन में 8-10 साल लगेंगे।’
स्वीडन की कंपनी ‘साब’ से ले कर अमेरिकी ‘लाकहीड मार्टिन’ और फ्रांस के दसाल्ट एविएशन तक ज्यादातर वैश्विक विमान विनिर्माताओं ने सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप अपने विमानों की पेशकश की है। भारतीय वायुसेना ने पिछले माह कहा था कि उसे अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए 108 रफाल या समान विमानों पर आधारित कम से कम छह स्क्वाड्रन की जरूरत है।