भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल के ब्रिटिश गवर्नर को खत लिखकर भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने के लिए कहा था। खत में उन्होंने लिखा, वह अंग्रेजी हुकूमत के साथ हैं। यह वह समय था जब गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस अंग्रेजी हुकूमत को भगाने के लिए आंदोलन चला रही थी।
‘श्यामा प्रसाद मुखर्जी, फ्रॉम ए डायरी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी’ के अंश के मुताबिक, बीजेपी के संस्थापक ने बंगाल में भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया था और उसे कुचलने के उपाय ब्रिटिश गवर्नर जॉन हरबर्ट को सुझाए थे। एजी नूरानी की किताब में भी इसका जिक्र है। सुमित गुहा ने इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित 17 अगस्त 1992 के अपने लेख ‘क्विट इंडिया मूवमेंट अपोनेंट अनमास्कड’ में इस पत्र का जिक्र किया है। उस समय वह मुस्लिम लीग-हिंदू महासभा की उस साझा सरकार के वित्त मंत्री थे, जिसके नेता लीग के एके फजलुल हक थे। हक ने ही भारत के दो टुकड़े कर अलग पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव मुस्लिम लीग की बैठक में पेश किया था। मुखर्जी 1941 में मुस्लिम लीग की अगुआई में बनी संयुक्त सरकार में शामिल हुए।
यह हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग की साझा सरकार थी। इसमें कांग्रेस नहीं थी। हक इस सरकार के प्रधानमंत्री थे। मुखर्जी इसके वित्त मंत्री बनाए गए थे। वह 11 महीने तक वित्त मंत्री रहे। इसके पहले 1940 में मुस्लिम लीग के लाहौर सम्मेलन में अलग पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव पारित किया जा चुका था। खास बात है कि भारत के दो टुकड़े कर मुसलमानों के लिए अलग पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव फजलुल हक ने ही रखा था। हिंदू महासभा के संस्थापक विनायक दामोदर सावरकर ने खुद मुखर्जी के हक सरकार में शामिल होने पर गर्व जताया था और इसे महासभा की कामयाबी के तौर पर पेश किया था।
मुखर्जी ने अपने खत में अंग्रेजों से कहा कि कांग्रेस की अगुवाई में चलने वाले इस आंदोलन को सख्ती से कुचला जाना चाहिए। मुखर्जी ने 26 जुलाई, 1942 को बंगाल के गवर्नर सर जॉन आर्थर हरबर्ट से कहा, कांग्रेस द्वारा बड़े पैमाने पर छेड़े गए आंदोलन के कारण सूबे में जो स्थिति उत्पन्न हो रही है, उसकी ओर वह ध्यान दिलाना चाहते हैं। उन्होंने लिखा, किसी भी सरकार को ऐसे लोगों को कुचला जाना चाहिए जो युद्ध के समय लोगों की भावनाओं को भड़काने का काम करते हों, जिससे गड़बड़ी या आंतरिक असुरक्षा की स्थिति पैदा होती है।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भारत छोड़ो आंदोलन को कुचलने के लिए अंग्रेज़ गवर्नर को चिट्ठी लिखी भाजपा राष्ट्र से माफ़ी माँगे और पूरे देश से श्यामा प्रसाद मुखर्जी की फ़ोटो हटाये pic.twitter.com/BfA61vNfOG
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) May 5, 2018
उन्होंने लिखा, सवाल यह है कि बंगाल में भारत छोड़ो आंदोलन को कैसे रोका जाए। प्रशासन को इस तरह काम करना चाहिए कि कांग्रेस की तमाम कोशिशों के बावजूद यह आंदोलन प्रांत में अपनी जड़ें न जमा सके। सभी मंत्री लोगों से यह कहें कि कांग्रेस ने जिस आजादी के लिए आंदोलन शुरू किया है, वह लोगों को पहले से ही हासिल है। मुखर्जी ने बंगाल के विभाजन की मांग की थी। बंगाल का पहली बार विभाजन 1905 में हुआ। आंदोलन के बाद उसे 1911 में रद्द कर दिया गया। 1946-47 में श्यामा प्रसाद ने एक बार फिर इसके विभाजन की मांग की।
मशहूर इतिहासकार आरसी मजुमदार इस खत के बारे में लिखते हैं, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इस चिट्ठी का अंत कांग्रेस के आंदोलन के बारे में बताने के साथ किया। उन्होंने इसकी आशंका जताई कि इस आंदोलन की वजह से आंतरिक गड़बड़ी होगी और आंतरिक सुरक्षा को खतरा पैदा हो जाएगा। उन्होंने यह भी लिखा कि इसको कुचल देना चाहिए। उन्होंने इसके साथ ही यह भी बताया कि किस तरह इस आंदोलन को कुचला जा सकता है।
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को हुआ। उनके पिता आशुतोष मुखर्जी कोलकाता हाईकोर्ट के जज थे। वह स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग व सप्लाई मंत्री रहे। उन्होंने महज 33 साल की उम्र में कोलकाता यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर बनने का भी गौरव हासिल किया। उनके कार्यकाल के दौरान रबिंदरनाथ टैगोर ने बंगाली में विवि के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। 1977-79 के दौरान जनसंघ की स्थापना की। आगे चलकर यही जनसंघ भारतीय जनता पार्टी में तब्दील हो गया। उनकी मृत्यु एक कैदी के रूप में हुई। अनाधिकृत तौर पर सूबे में दाखिल होने पर जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया था।
ध्यान रहे कि इससे पहले वीर सावरकर को लेकर बीजेपी पर लगातार हमले होते रहे हैं। उन पर आरोप है कि अंग्रेजों की कैद से मुक्त होने के लिए वह लगातार माफी मांगते रहे। बीजेपी सावरकर से किनारा करने लगी है। सावरकर को भारत रत्न देने की मांग पर भी बीजेपी नेतृत्व ने चुप्पी साध रखी है।