भारत को अंग्रेजों से आजादी मिलने से पहले देश के स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिवीरों ने लंबी लड़ाई लड़ी और संघर्ष किया था। भारत समेत दुनिया के कई देश सैकड़ों साल तक गुलामी की जंजीरों में जकड़े रहे। मुस्लिम और मुगल शासन के बाद भारत में अंग्रेजी शासन की शुरुआत हुई। पहले ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में शासन किया, उसके बाद ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया ने इसकी कमान संभाली। महारानी ने जब ईस्ट इंडिया कंपनी से भारत पर राज करने का अधिकार वापस लिया तो इसकी घोषणा सबसे पहले इलाहाबाद के मिंटो पार्क में तत्कालीन वायसराय रहे लार्ड चार्ल्स कैनिंग ने पढ़ी थी। इसका एक रोचक इतिहास है।
1765 में मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुआ था समझौता
देश में व्यापार के इरादे से आई ईस्ट इंडिया कंपनी ने सबसे पहले 1757 में भारत में अपना पैर जमाया। इसके लिए 1765 में मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच एक समझौता हुआ। यह समझौता भारत में गुलामी की नई कहानी की नींव थी। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में एक कंपनी नहीं, बल्कि अथारिटी की तरह लोगों पर अपने कानून और हुक्म चलाने लगी।
कंपनी के जुल्म से लोगों के सब्र का बांध टूट गया था, कर दिया था 1857 में क्रांति का ऐलान
करीब सौ साल तक कंपनी ने भारतीयों पर जबर्दस्त और बेरहमी से जुल्म ढाए। मनमाने टैक्स वसूले, यहां के कच्चे सामानों को सस्ते दाम पर लेकर उससे तैयार माल दस गुने महंगे दामों पर बेचते थे। इससे लोगों के सब्र का बांध टूट गया। लोग आंदोलन की तैयारी करने लगे। कंपनी के खिलाफ जगह-जगह लोग एकजुट हुए और 1857 में क्रांति का ऐलान कर दिया।
1857 की यह क्रांति भारत से ईस्ट इंडिया कंपनी की जड़ खोदने का बड़ा आधार बनी। इसकी गूंज ब्रिटेन की महारानी तक पहुंची। घबराई महारानी विक्टोरिया और उनके सिपहसालारों ने तय किया कि भारत में शासन-प्रशासन की जिम्मेदारी खुद संभाली जाए और इसी के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी से इसका अधिकार लेने का फैसला हुआ। इसके लिए बकायदे एक घोषणा पत्र तैयार किया गया। इसे भारत के तत्कालीन वायसराय रहे लार्ड चार्ल्स कैनिंग ने सबसे पहली बार एक नवंबर 1858 को तत्कालीन इलाहाबाद (जिसे अब प्रयागराज कहते हैं) के यमुना किनारे एक पार्क में पढ़ा। इससे वह जगह ऐतिहासिक बन गई।
बाद में 9 नवंबर 1910 को लार्ड मिंटो ने उस जगह का सुंदरीकरण करवाया और उसे एक बड़ा पार्क के रूप में बदल दिया। उसे ही मिंटो पार्क कहा जाता है। 13 एकड़ में फैले इस पार्क में सफेद संगमरमर के स्तंभ पर महारानी विक्टोरिया की घोषणा को अंकित कराया गया। इस स्तंभ के ऊपर चार शेर बना है। यह चार शेर भारत के राष्ट्रीय प्रतीक हैं।
महारानी ने अपने घोषणा पत्र में ईस्ट इंडिया कंपनी के जुल्मों के लिए भारत से खेद भी जताया है, हालांकि महारानी के शासन के दौरान भी अंग्रेजों ने भारत में कम जुल्म नहीं ढाया। यह दौर जारी रहा।