पंजाब के राहों के एक परिवार के लिए नौ दिन भयानक दुःस्वप्न से भरे रहे। उन्हें ईरान में अपहरण कर लिया गया, प्रताड़ित किया गया और सीमा पार के एक गैंग, जिसने खुद को इमिग्रेशन अधिकारी बताया, ने उन्हें फिरौती के लिए बंधक बनाया। यह दुखद समय शनिवार (4 अक्टूबर) को समाप्त हुआ। धर्मिंदर सिंह, उनकी पत्नी संदीप कौर और 12 वर्षीय उनके पुत्र घर लौट आए। वे टूटे हुए थे लेकिन जिंदा हैं। उनकी रिहाई के लिए कुल 80 लाख रुपए चुकाने पड़े, जिसमें 74.5 लाख रुपए नकद और बाकी राशि जेवरात के रूप में शामिल थी।

5 अक्टूबर को उनका सुरक्षित भारत लौटना आंशिक रूप से आनंदपुर साहिब के सांसद मलविंदर सिंह कांग के तत्काल हस्तक्षेप से संभव हो सका। उन्होंने इस मामले को विदेश मंत्रालय (MEA) के समक्ष उठाया। लेकिन उनके लौटने के पीछे धोखे, डर और झूठे सपनों की भारी कीमत की एक दर्दनाक कहानी छिपी है।

स्थानीय एजेंट ने परिवार को दिया था कनाडा ले चलने का भरोसा

यह कष्टदायक यात्रा एक वादे से शुरू हुई थी – पंजाब के एक स्थानीय एजेंट ने परिवार को भरोसा दिलाया कि वे कानूनी तरीके से कनाडा में बस सकते हैं। सीधे भारत से नहीं तो ईरान के रास्ते से। धर्मिंदर सिंह (43), जो ठेके पर खेती करते हैं, ने बताया, “एजेंट ने कहा था कि हमें किसी बात की चिंता करने की जरूरत नहीं है। सारा खर्च वह खुद उठाएगा, और पैसे हमें कनाडा पहुंचने के बाद ही देने होंगे।” धर्मिंदर के अनुसार, एजेंट ने कहा था, “पूरे परिवार का कुल खर्च 26 लाख रुपये होगा, लेकिन भुगतान कनाडा पहुंचने के बाद ही करना है।”

25 सितंबर को धर्मिंदर सिंह का परिवार चंडीगढ़ से कोलकाता, फिर दुबई होते हुए तेहरान पहुंचा। एजेंट ने उन्हें हिदायत दी थी कि तेहरान पहुंचने पर इमाम खोमेनी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के भीतर ही रहना है। संदीप कौर ने याद करते हुए बताया, “एजेंट ने कहा था कि कोई व्यक्ति आएगा, हमारे पासपोर्ट ले लेगा और चार घंटे में हम बाहर निकल जाएंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।”

उन्होंने आगे बताया, “जब हमें लगा कि देर हो रही है, तो हमें कहा गया कि होटल में रुक जाएं। जैसे ही हम एयरपोर्ट से बाहर निकले और टैक्सी ली, स्थानीय एजेंट के व्यक्ति ने हमें फोन किया और बताया कि कोई हमें लेने आ रहा है। थोड़ी देर में एक टैक्सी आई, और उसमें से उतरा व्यक्ति बोला कि उसे एजेंट ने ही भेजा है।”

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संदीप कौर ने बताया, “हम टैक्सी में बैठे और करीब दो घंटे तक हमें एक सुनसान जगह ले जाया गया। वे लोग पाकिस्तान के थे… उन्होंने सबसे पहले मेरे पति को अलग किया और फिर मेरे बेटे को।”

इसके बाद जो हुआ, वह किसी डरावने सपने से कम नहीं था। कांपती आवाज़ में संदीप ने कहा, “जब हम वहां पहुंचे, तो उन्होंने हमारे पासपोर्ट और मोबाइल फोन छीन लिए। हमारे बैग और पर्स की तलाशी ली। फिर मेरे पति को पहली मंज़िल पर बुलाया गया और मुझे व मेरे बेटे को दूसरी मंज़िल पर रखा गया। थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरे बेटे को भी ले लिया, और फिर मुझे बुलाया। जो मैंने देखा, वह मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती — मेरे पति और मेरे बेटे को बांधा हुआ था। उन्होंने मुझे भी बांध दिया।” तभी अपहरणकर्ताओं ने अपनी असलियत बताई — “वे पाकिस्तान से संचालित एक अंडरवर्ल्ड गिरोह के सदस्य हैं,” और उन्होंने 1.5 करोड़ रुपये की फिरौती की मांग की।

संदीप ने बताया, “उन्होंने कहा कि हमें घर पर किसी एक व्यक्ति का नंबर देना होगा। हमने मेरे देवर परमजीत का नंबर दिया। उन्होंने परमजीत को फोन कर 1.5 करोड़ रुपये मांगे। हमने उनसे कहा कि हमारे पास 26 लाख रुपये हैं, जो हम एजेंट को कनाडा पहुंचने पर देने वाले थे, वह ले लें और बाकी रकम हम और जुटा लेंगे।”

परमजीत ने परिवार के एक रिश्तेदार से संपर्क किया, जो भारतीय दूतावास में कार्यरत हैं, और उन्होंने ईरान स्थित भारतीय दूतावास को पूरी जानकारी दी। धर्मिंदर ने बताया, “लेकिन जैसे ही हमारे रिश्तेदार ने दूतावास को सूचना दी, अपहरणकर्ताओं को इसकी खबर मिल गई। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकारी भारतीय दूतावास के किसी व्यक्ति ने दी है, और फिर वे हमें एक दूसरी जगह ले गए।”

80 लाख की फिरौती, जमीन बिकी, गहने गए

धर्मिंदर ने कहा, “हम बार-बार विनती करते रहे कि हम 1.5 करोड़ रुपये की व्यवस्था नहीं कर सकते। अंततः उन्होंने हमें 80 लाख रुपये में छोड़ने पर सहमति दी।” परिवार ने बताया कि घर पर मौजूद रिश्तेदारों ने पहले 40 लाख रुपये की व्यवस्था की, जो जालंधर के मिलाप चौक पर एक व्यक्ति को सौंपे गए। “हमारे रिश्तेदारों ने पैसे देने की प्रक्रिया का वीडियो भी रिकॉर्ड किया,” परिवार ने कहा।

“इसके बाद हमने उन्हें छोड़ने की गुज़ारिश की, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया और बाकी रकम की मांग की। हमने रोते हुए कहा कि हमारे पास अब कुछ नहीं बचा, पर उन्होंने 40 लाख रुपये और मांगे। परिवार ने छह कनाल पुश्तैनी जमीन बेचकर और रिश्तेदारों से उधार लेकर किसी तरह 30 लाख रुपये और जुटाए, जो उसी तरह दिए गए। इसके बाद उन्होंने हमारे गहने — चेन, अंगूठियां, कड़े और बालियां — भी ले लिए, और टिकट के लिए 4.5 लाख रुपये और मांगे,” परिवार ने बताया।

संदीप ने कहा, “हमें बहुत प्रताड़ित किया गया। उन्होंने मेरे पति के शरीर में सुई चुभाई और पीटा। सबसे ज़्यादा अत्याचार उन्हीं पर हुआ। उन्होंने कहा कि वे मुझे और मेरे बेटे को छोड़ देंगे, लेकिन मैंने पति को छोड़े बिना जाने से मना कर दिया।”

रिहाई तो मिली, पर कोई गिरफ्तारी नहीं

धर्मिंदर ने बताया, “पैसे लेने के बाद उन्होंने हमें छोड़ दिया। हमें ऐसे और पीड़ितों के बारे में भी पता चला — गुरदासपुर के एक व्यक्ति ने 40 लाख रुपये दिए और जयपुर के एक व्यक्ति ने 15 लाख।”

संदीप ने बताया, “रिहा करते समय उन्होंने हमें अलग-अलग वाहनों में बैठाया। मुझे और मेरे बेटे को अलग-अलग जगह छोड़ा और मेरे पति को एयरपोर्ट के दूसरी ओर। हमें एक-दूसरे तक पहुंचने में दो घंटे लग गए और हमारी फ्लाइट छूट गई। ईरान से वापस आने के लिए हमें 2 लाख रुपये और खर्च करने पड़े।”

सांसद का हस्तक्षेप, विदेश मंत्रालय की मदद से वापसी

जब परिवार ने भारत में शोर मचाया, तो आनंदपुर साहिब के सांसद मलविंदर सिंह कांग तुरंत सक्रिय हो गए। उन्होंने कहा, “पीड़ित परिवार के रिश्तेदारों ने मुझसे संपर्क किया। मैंने तुरंत यह मामला विदेश मंत्रालय तक पहुंचाया।”

कांग ने बताया, “मैंने नई दिल्ली में विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात कर तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। मंत्रालय ने फौरन कदम उठाया और परिवार की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की।” राहों लौटने पर परिवार का स्वागत भावुक माहौल में हुआ — बुजुर्ग माता-पिता रो पड़े, पड़ोसी इकट्ठा हुए और पूरे इलाके ने राहत की सांस ली। धर्मिंदर ने कहा, “हम सांसद कांग, विदेश मंत्रालय और उन सभी के आभारी हैं जिन्होंने हमारी मदद की। लेकिन यह दुःस्वप्न तब तक खत्म नहीं होगा जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलती।”

परिवार अब स्थानीय एजेंट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने और इस अंतरराष्ट्रीय गिरोह की पूरी जांच की मांग करने जा रहा है। सांसद कांग ने सरकार से ऐसे एजेंटों पर कड़ा शिकंजा कसने और जनता को जागरूक करने की अपील की। उन्होंने कहा, “कई परिवार ठगे जा रहे हैं और बरबाद हो रहे हैं। हमें यह ध्यान रखना होगा कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।” जैसे-जैसे यह परिवार अपने जीवन को फिर से संभालने की कोशिश कर रहा है, उनकी कहानी एक भयावह सबक बनकर सामने आई है – विदेश जाने के सपनों का शॉर्टकट कभी-कभी सीधे मौत के मुहाने तक ले जाता है।