पंजाब सरकार और केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में किसान सड़कों पर उतरेंगे। राज्य में फसल खरीद और धान की बिक्री को लेकर किसानों, चावल मिल मालिकों और आढ़तियों (कमीशन एजेंटों) ने रविवार को पूरे पंजाब में दोपहर 12 बजे से तीन घंटे के लिए ‘चक्का जाम’ का आह्वान किया है। यह निर्णय शुक्रवार को चंडीगढ़ में आढ़तियों, मिल मालिकों और किसान संगठनों की एक संयुक्त बैठक में लिया गया। उनके अनुसार पंजाब में खरीफ फसल के मौसम की शुरुआत 1 अक्टूबर के बाद भी सरकारों ने फसलों की खरीद और धान उठाना शुरू नहीं किया है। वे 14 अक्टूबर को फिर बैठक करेंगे और 2020-21 के किसान आंदोलन की तर्ज पर जरूरत पड़ने पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के लिए भविष्य की रणनीति बनाएंगे।

किसान मोर्चा बना रहा रणनीति

संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान संगठनों ने आढ़ती एसोसिएशनों और शैलर मालिकों दोनों से मुलाकात की। संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक करीब ढाई घंटे तक चली बैठक में वे इस बात पर सहमत हुए कि अगर वे साथ मिलकर नहीं लड़ेंगे तो न केवल कृषि संकट बढ़ेगा, बल्कि इससे जुड़े अन्य व्यवसायों को भी नुकसान होगा।

नेताओं ने सुझाव दिया कि केंद्र और राज्य पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली सीमा पर किसान आंदोलन की तर्ज पर एक और आंदोलन शुरू किया जाना चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा के नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि मोर्चा ने कृषि से जुड़े सभी संगठनों को एक मंच पर लाने और पंजाब में खेती को बचाने के लिए आंदोलन करने का फैसला किया है।

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दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक पंजाब में ट्रैफिक रोका जाएगा- बलबीर सिंह राजेवाल

बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ”13 अक्टूबर को दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक पंजाब में ट्रैफिक रोका जाएगा। जबकि 14 अक्टूबर को कर्मचारी और श्रमिक संगठनों सहित राज्य के सभी संगठनों की एक संयुक्त बैठक होगी जिसमें भविष्य की रणनीति तय की जाएगी। अगर जरूरत पड़ी तो 2020-21 के किसान आंदोलन की तर्ज पर राज्य में बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा। राज्य के गोदाम चावल से भरे हुए हैं। प्रदेश की मंडियों से धान का उठाव नहीं हो रहा है। धान दूसरे राज्यों के लिए बोया जाता है। केंद्र को राज्य की मदद करनी चाहिए।”

मिलर्स एसोसिएशन के नेता तरसेम सैनी ने आरोप लगाया कि जहां तक ​​पीआर 126 चावल के बीज का सवाल है, मंडी बोर्ड और खरीद एजेंसियों के अधिकारियों की मिलीभगत से किसानों को धोखा दिया जा रहा है। उन्होंने बयान में कहा, ”पीआर 126 (हाइब्रिड बीज) बिल्कुल नहीं खरीदा जाएगा।” आढ़ती एसोसिएशन के नेता रविंदर सिंह चीमा और विजय कालरा ने आरोप लगाया कि सरकार आढ़तियों को खत्म करना चाहती है।