सिक्सर किंग के नाम से मशहूर रहे नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस की राजनीति में लगातार विरोधियों को पटखनी देते जा रहे हैं। पहले उनकी जिद के आगे आलाकमान ने अमरिंदर सिंह को बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब उनके हठ के चलते पंजाब सरकार ने एपीएस देओल की जगह एडवोकेट डीएस पटवालिया को राज्य का एडवोकेट जनरल नियुक्त किया है।
सूत्रों का कहना है कि पटवालिया की नियुक्ति में पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की भूमिका अहम रही। सिद्धू सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के नजदीकी माने जाने वाले एएस देओल को पद से हटवाने में कामयाब रहे। अपनी जिद पूरी करने के बाद वह अपने पसंदीदा पटवालिया को एजी बनवाने में सफल रहे। इसे उनका मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। अब लोगों की निगाहें डीजीपी की कुर्सी पर जा टिकी हैं।
उल्लेखनीय है कि पटवालिया को एजी लगवाने के लिए ही सिद्धू ने प्रदेश प्रधान पद से इस्तीफा देकर आलाकमान और चन्नी पर दबाव बनाया था। आखिरकार पार्टी हाईकमान के निर्देश पर मुख्यमंत्री चन्नी को अपना फैसला बदलना पड़ा और देओल ने एजी पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, चन्नी ने देओल का इस्तीफा मंजूर नहीं किया था। लेकिन सिद्धू लगातार अड़े रहे और उन्होंने ऐलान कर दिया कि एडवोकेट जनरल के पद से देओल की रूखसती के बाद ही वो अपने दफ्तर जाएंगे।
सिद्धू की धमकी के बाद घटनाक्रम तेजी से बदले। 9 नवंबर को चरणजीत चन्नी ऐलान किया कि एडवोकेट जनरल एपीएस देओल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। सूत्रों का कहना है कि अब सिद्धू का अगला लक्ष्य प्रदेश के डीजीपी पद पर अपने पंसदीदा अधिकारी को नियुक्त कराने का है। लेकिन जब तक केंद्र सरकार से अफसरों के पैनल पर मुहर नहीं लगती, तब तक सिद्धू को इंतजार करना होगा।
जानकारों का कहना है कि चन्नी से रस्साकसी में सिद्धू ने दिखा दिया कि उनसे पार पाना उतना आसान नहीं। कैप्टन को चारों खाने चित करने के बाद सिद्धू ने चन्नी को भी बैकफुट पर ला ही दिया। अब फिलहाल सिक्सर किंग के तेवर तीखे हैं और वो किसी से दबने के मूड़ में नहीं दिख रहे हैं।