कुछ अर्सा पहले तक असेंबली के स्पेशल सेशन को लेकर आप सरकार से गुत्थमगुत्था हो रहे पंजाब के गवर्नर ने फिर से नया मोर्चा खोल दिया है। लुधियाना की पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के वीसी को लेकर उन्होंने सरकार को चिट्ठी लिखी है। इसमें कहा गया है कि वीसी को तत्काल प्रभाव से बाहर का रास्ता दिखाया जाए। बकौल गवर्नर उनकी नियुक्ति मानकों के खिलाफ है।
गवर्नर की चिट्ठी के मुताबिक उन्हें पता लगा है कि सरकार ने सतबीर सिंह गोसल को विवि का वीसी बनाया है। लेकिन नियुक्ति में यूजीसी के मानकों का ध्यान नहीं रखा गया है। उनकी तकलीफ इस बात को लेकर भी है कि नियुक्ति से पहले चांसलर यानि उनकी अनुमति भी नहीं ली गई। गवर्नर का कहना है कि सरकार का ये कदम गैरकानूनी और बर्दाश्त से बाहर है।
गवर्नर ने लिखा कि गोसाल को तत्काल प्रभाव से बाहर का रास्ता दिखाया जाए। फिलहाल उनका चार्ज कृषि विभाग के प्रशासकीय सचिव के हवाले किया जा सकता है। उन्होंने कृषि विभाग को हिदायत दी है कि नए वीसी की नियुक्ति के लिए तुरंत प्रक्रिया शुरू कराई जाए। संबंधित महकमे को इस बारे में तत्काल प्रभाव से सूचना दी जाए, जिससे जल्द विवि को नया वीसी मिल सके। गवर्नर ने ये भी लिखा कि नई नियुक्ति चांसलर की सहमति से हो।
उधर पंजाब के कृषि मंत्री केएस धालीवाल ने गवर्नर की चिट्ठी पर एतराज जताते हुए कहा कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। विवि सूबे की खेती के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह से है। गवर्नर ने चिट्ठी लिखकर यूनिवर्सिटी बोर्ड पर भी सवाल खड़े किए हैं। सतबीर सिंह गोसल को बोर्ड की हरी झंडी मिलने के बाद नियुक्त किया गया था। बोर्ड राज्य के लोगों का प्रतिनिधित्व करता है। गवर्नर का इस तरह का कृत्य राज्य की जनता की भी एक तरह से अपमान है।