पंजाब की भगवंत मान सरकार ने माफिया मुख्तार अंसारी को कानूनी मदद देने के मामले में बड़ा फैसला लिया है। मुख्तार अंसारी के वकीलों की फीस के रूप में 55 लाख रुपये दिए गए थे। अब इसे लेकर पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह और पूर्व जेल मंत्री सुखजिंदर रंधावा को वसूली का नोटिस भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि अगर यह पैसे नहीं लौटाए गए तो यह पैसे उनकी पेंशन से काटे जाएंगे। मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से कहा गया है कि अंसारी को पंजाब जेल में रखने पर हुए 55 लाख रुपये का भुगतान राज्य सरकार नहीं करेगी।
पंजाब सरकार ने लौटाई थी फाइल
बता दें कि अप्रैल में पंजाब सरकार ने मुख्तार अंसारी की पैरवी करने वाले वकील के भुगतान की फाइल लौटा दी थी। सुप्रीम कोर्ट में मुख्तार की पैरवी करने के लिए प्रति सुनवाई 11 लाख रुपये का भुगतान किया गया था। मुख्तार की सुनवाई पर कुल 55 लाख रुपये खर्च किए गए थे। उसे महंगे वकील दिए गए। अब मान सरकार के सत्ता में आने के बाद यह फाइलें लौटा दी गई हैं। बता दें कि मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल में रखा गया था।
रंधावा ने शेयर किया नोटिस
मान सरकार की ओर से नोटिस मिलने के बाद कांग्रेस विधायक रंधावा ने उसे शेयर किया। रंधावा सीएम मान के खिलाफ ‘चरित्र हनन’ के लिए मानहानि का मामला दर्ज करने की धमकी दी थी। इस नोटिस में कहा गया है, ”यूपी की बांदा जेल में बंद गंभीर मामलों में आरोपी अंसारी, मोहाली में एक मनगढ़ंत एफआईआर दर्ज करने में सफल रहा।” नोटिस में कहा गया है कि अंसारी को प्रोडक्शन वारंट पर पंजाब लाया गया और 24 जनवरी, 2019 को रूपनगर जेल भेज दिया गया, इसके बाद 6 अप्रैल, 2021 तक वहां रखा गया।
नोटिस में कहा गया है कि मुख्तार अंसारी को यूपी की जेल में ट्रांसफर करने से रोकने के लिए सीनियर वकील को नियुक्त किया गया। नोटिस में कहा गया कि इसमें पंजाब सरकार या राज्य का कोई हित शामिल नहीं था। ऐसे में उस पर 55 लाख का खर्च करना जनता के पैसों के साथ अन्याय है। दूसरी तरफ रंधावा का दावा है कि वकील को नियुक्त करने की फीस 17.60 लाख रुपये ही थी। उन्होंने मान को रिकवरी नोटिस जारी की भी चुनौती दी। रंधावा ने कहा था कि अंसारी का मामला विपक्ष ने विधानसभा में उठाया था और सिंह से स्थिति स्पष्ट करने को कहा था।