आम आदमी पार्टी के चार बागी सांसद पिछले एक महीने से ज्यादा समय से उसके लिए परेशानियां खड़ी कर रहे हैं लेकिन पार्टी ने पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले ‘एक और मोर्चे’ को हवा देने से बचने की खातिर उन्हें बर्खास्त ना करने का फैसला नहीं है। आप सूत्रों ने कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई ना करने का फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि इससे एक और मोर्च का जन्म होगा जिसका मतलब है कि पार्टी की ऊर्जा उसके अभियान से हटकर दूसरी तरफ लगानी पड़ेगी। पार्टी पूर्व में योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण जैसे बागी नेताओं को निकाल चुकी है लेकिन सांसदों को निकालने का मतलब होगा कि उन्हें दल बदल विरोधी कानून के दायरे से ‘छुटकारा’ मिल जाएगा।
आप सांसद भगवंत मान संसद परिसर का वीडियो बनाने और उसका सीधा प्रसारण करने के लिए विवादों में रहे हैं। उनपर निलंबित आप सांसद हरिंदर सिंह खालसा ने सदन में शराब पीकर आने का भी आरोप लगाया है जिसने पार्टी के लिए शर्मिंदगी पैदा की। मान ने शराब पीकर संसद आने के आरोप से इनकार किया है। पटियाला के निलंबित आप सांसद धर्मवीर गांधी ने ऐसे समय में एक वैकल्पिक राजनीतिक मोर्चे के गठन की घोषणा की है जब आप अलग साल होने वाले विधानसभा चुनाव में शिअद-भाजपा गठबंधन से सत्ता छीनने में अपनी ऊर्जा लगा रही है। दोनों सांसदों को यादव एवं भूषण को पार्टी से निकालने के लिए आप नेतृत्व की आलोचना करने पर पार्टी से निलंबित कर दिया गया था।
गांधी ने कहा, ‘मैं पार्टी से क्यों इस्तीफा दूं। वे मुझे पार्टी से निकालें। एक सांसद के तौर पर मेरा अपने निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के प्रति उत्तरदायित्व है।’ दिल्ली में पार्टी एक अजीब स्थिति का सामना कर रही है। भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर बर्खास्त किए गए पूर्व मंत्री असिम अहमद खान ने दावा किया है कि उनके और उनके परिवार के लोगों को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पार्टी के कुछ दूसरे नेताओं ने ‘जान से मारने की धमकी’ दी हैं।
एक दूसरे मामले में तिमारपुर के आप विधायक पंकज पुष्कर ने दिल्ली विधानसभा को ‘गुमराह’ करने के लिए उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के खिलाफ विधानसभा में विशेषाधिकार हनन के प्रस्ताव का नोटिस पेश किया था। आप के एक नेता ने कहा, ‘पार्टी एक और बिन्नी नहीं चाहती और अपने लिए परेशानियां खड़ी नहीं करनी चाहती। हमने उससे सबक सीखा है।’ विनोद कुमार बिन्नी दिसंबर 2013 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप के टिकट पर लक्ष्मीनगर सीट से निर्वाचित हुए थे। उन्हें बाद में पार्टी से निकाल दिया और वे भाजपा में शामिल हो गए। उन्होंने 2015 विधानसभा चुनाव में सिसौदिया के खिलाफ चुनाव लड़ा था।