पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक केस में पूर्व पति से भारी भरकम गुजारा भत्ता लेने के बाद भी एफआईआर रद्द नहीं करने पर महिला के खिलाफ 50 हजार का जुर्माना लगा दिया है। महिला पर आरोप है कि वह अपने पूर्व पति से 22 लाख रुपये गुजारा भत्ता ले चुकी है, लेकिन मामले को निपटाने के लिए मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज कराने के लिए नहीं पेश हो रही है। महिला के आचरण पर कोर्ट ने कड़ा एतराज जताया है।
कोर्ट ने आरोपी महिला को लगाई फटकार
इस मामले में हाईकोर्ट के जस्टिस सुमित गोयल ने धारा 498ए, 323 और 406 के तहत पूर्व पति के खिलाफ पहले से दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पास इस तरह के दो मामले में सुनवाई चली है। कोर्ट ने दोनों मामलों में आरोपी महिलाओं के खिलाफ जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने दोनों महिलाओं को फटकार लगाते हुए जुर्माने का आदेश जारी किया। कोर्ट ने कहा कानूनी कार्यवाही के लिए रिपोर्ट को जारी रखना कानूनी प्रक्रिया की नजर में सरासर दुरुपयोग के अलावा कुछ नहीं है। कोर्ट ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत इस मामले को रद्द कर दिया और दोनों महिलाओं पर जुर्माना लगा दिया।
उधर, उत्तर प्रदेश में बलिया की एक स्थानीय अदालत ने 25 वर्षीया विवाहिता की कथित तौर पर दहेज के लिए हत्या करने के आरोपी पति एवं सास को दोषी करार देते हुए सोमवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, अपर जिला न्यायाधीश ज्ञान प्रकाश तिवारी ने करीब साढ़े चार साल पुराने मामले में दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद हत्या के आरोपी पति श्याम बहादुर राजभर और सास चिन्ता देवी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई और दोनों पर चार-चार हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।
पुलिस अधीक्षक देव रंजन वर्मा ने मंगलवार को बताया कि खेजुरी थाना क्षेत्र के करम्मर गांव में गत 27 अक्टूबर 2019 को ममता राजभर (25) की हत्या कर दी गयी थी। उन्होंने बताया कि मृतका के भाई मनोज कुमार की शिकायत पर श्याम बहादुर राजभर और सास चिन्ता देवी के खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 304 (बी) और 498 (ए) तथा दहेज प्रतिबंध अधिनियम की धारा चार में नामजद मुकदमा दर्ज किया गया। अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने मामले की जांच के बाद दोनों आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में आरोपपत्र दाखिल किया, जिस पर अदालत ने यह फैसला सुनाया।