Pune Porsche Accident Case: पुणे पोर्श दुर्घटना मामले में कोर्ट ने नाबालिग आरोपी के दादा सुरेंद्र अग्रवाल और पिता विशाल अग्रवाल को 14 दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया है।
इससे पहले मंगलवार को कोर्ट ने उनकी हिरासत अवधि 31 मई तक बढ़ा दी थी। आरोपी के दादा और पिता को पुणे पुलिस की अपराध शाखा ने अपने पारिवारिक ड्राइवर को गलत तरीके से बंधक बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन्होंने कथित तौर पर दुर्घटना की जिम्मेदारी लेने के लिए उसे नकदी और गिफ्ट का लालच दिया था।
ड्राइवर की शिकायत के बाद, यरवदा पुलिस ने आरोपी नाबालिग के पिता और दादा दोनों के खिलाफ आईपीसी की धारा 365 (किसी व्यक्ति को गुप्त रूप से और गलत तरीके से बंधक बनाने के इरादे से अपहरण) और 368 (गलत तरीके से छुपाना या बंधक बनाकर रखना) के तहत नया मामला दर्ज किया था।
पुणे पोर्श दुर्घटना मामले की जांच कर रही पुलिस ने गुरुवार को कोर्ट में बताया कि नाबालिग आरोपी के साथ-साथ जिस व्यक्ति के रक्त का नमूना शराब परीक्षण के लिए प्रयोगशाला में भेजने से पहले लड़के के रक्त के साथ बदला गया था, उनका रक्त सीसीटीवी कवरेज के बाहर के क्षेत्र में लिया गया था।
सहायक पुलिस आयुक्त सुनील तांबे ने ससून अस्पताल के फोरेंसिक विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. सुनील टावरे, उस समय के कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर डॉ. श्रीहरि हरनोल और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अतुल घाटकांबले को स्पेशल कोर्ट में पेश किया और उनकी पुलिस रिमांड को सात दिन बढ़ाने की मांग की। विशेष न्यायाधीश पीपी जाधव ने उनकी रिमांड 5 जून तक बढ़ा दी।
तांबे ने कहा, “नाबालिग से खून निकालने के लिए इस्तेमाल की गई सिरिंज को सामान्य तरीके से फेंका नहीं गया। इसे किसी को सौंप दिया गया था और हमें उस व्यक्ति की पहचान करनी है। साथ ही, खून के नमूने जानबूझकर ऐसी जगह पर लिए गए थे, जो किसी भी सीसीटीवी कैमरे की पहुंच में नहीं है। जांच में पाया गया है कि नाबालिग के बजाय जो नमूना जांच के लिए भेजा गया था, वह एक महिला का था। हमें नाबालिग के तौर पर जांच के लिए भेजे गए नमूने पर लगी सील को भी ढूंढकर जब्त करना है।”
पुलिस ने आगे दलील दी कि उन्होंने अब तक आरोपियों से 3 लाख रुपये बरामद कर लिए हैं – घाटकांबले से 50,000 रुपये, डॉ. हरनोल से 2.5 लाख रुपये। इसलिए मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 लगाई गई है।
एसीपी ने कहा, “आरोपी और कुछ अन्य व्यक्तियों के बीच कई व्हाट्सएप और नियमित कॉल हुए हैं। हमें अपराध में शामिल अन्य व्यक्तियों की पहचान करने की आवश्यकता है और इसलिए हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता है। हमें भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने से आरोपी व्यक्तियों द्वारा अर्जित की गई संपत्ति की भी पहचान करने की आवश्यकता है।”
