असहिष्णुता पर बढ़ते विवाद के बीच कड़ा संदेश देते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को कहा कि लोगों को अपने मन से विभाजनकारी विचारों को हटाना चाहिए और सार्वजनिक अभिव्यक्ति को ‘सभी तरह की हिंसा’ से मुक्त करना चाहिए। उन्होंने विभाजनकारी विचारों को ‘असल गंदगी’ करार दिया जो गलियों में नहीं, बल्कि ‘हमारे दिमाग में और समाज को विभाजित करने वाले विचारों को दूर करने की अनिच्छा में है।’

प्रणब ने कार्यक्रमों की शृंखला को संबोधित करते हुए भारत के बारे में महात्मा गांधी के सोच का जिक्र किया और कहा कि उन्होंने एक समावेशी राष्ट्र की कल्पना की थी जहां देश का हर वर्ग समानता के साथ रहे और उसे समान अवसर मिलें। सरकार के स्वच्छता अभियान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘बापू के अनुसार स्वच्छ भारत का मतलब स्वच्छ दिमाग, स्वच्छ शरीर और स्वच्छ वातावरण से था।’

साबरमती आश्रम में अभिलेखागर और शोध केंद्र का उद्घाटन करते हुए प्रणब ने कहा, ‘भारत की असल गंदगी हमारी गलियों में नहीं, बल्कि हमारे दिमागों में और समाज को ‘उनके’ और ‘हमारे’ और ‘शुद्ध’ और ‘अशुद्ध’ के बीच बांटने के विचारों से मुक्ति पाने की अनिच्छा में है।’

जुलाई 2012 में देश का सर्वोच्च पद संभालने के बाद गुजरात के अपने पहले तीन दिवसीय दौरे पर आए प्रणब ने कहा, ‘हमें प्रशंसनीय और स्वच्छ भारत मिशन को हर हाल में सफल बनाना चाहिए। हालांकि इसे मस्तिष्कों को स्वच्छ करने और गांधी जी की सोच के सभी पहलुओं को पूरा करने के लिए एक अत्यंत बड़े और वृहद प्रयास की महज शुरूआत के रूप में देखना चाहिए।’ राष्ट्रपति ने यहां गुजरात विद्यापीठ के 62वें दीक्षांत समारोह को भी संबोधित किया। उन्होंने कहा, ‘गांधी ने अपने जीवन में और मृत्यु के समय भी सांप्रदायिक सद्भाव के लिए संघर्ष किया। शांति एवं सद्भाव की शिक्षा ही समाज में विघटनकारी ताकतों को नियंत्रित करने और उन्हें नई दिशा देने की कुंजी है।’

कथित असहिष्णुता पर बहस के बीच प्रणब ने बार-बार भारत की उदार परंपराओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अहिंसा नकारात्मक शक्ति नहीं है और ‘हमें सार्वजनिक अभिव्यक्ति को सभी तरह की हिंसा, शारीरिक और मौखिक हिंसा से मुक्त करना चाहिए । केवल एक अहिंसक समाज ही हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया में खासकर वंचित लोगों समेत सभी वर्गों के लोगों की भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है।’ राष्ट्रपति ने कहा कि गांधीजी ने राम का नाम लेते हुए हत्यारे की गोली खाकर हमें अहिंसा की ठोस सीख दी।

प्रणब ने कहा, ‘हर दिन, हम अपने चारों ओर अभूतपूर्व हिंसा होते देखते हैं। इस हिंसा के मूल में अंधेरा, डर और अविश्वास है। जब हम इस फैलती हिंसा से निपटने के नए तरीके खोजें, तो हमें अहिंसा, संवाद और तर्क की शक्ति को भूलना नहीं चाहिए।’ गुजरात विद्यापीठ के ध्येयवाक्य ‘सा विद्या या विमुक्तये’ का उल्लेख करते हुए मुखर्जी ने कहा कि संस्थान को युवाओं के हृदय और मस्तिष्क को शिक्षित करते हुए इस ध्येयवाक्य का प्रदर्शन करते रहना चाहिए कि अहिंसा के मार्ग पर ही सामाजिक पुनरुद्धार संभव है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्त्वाकांक्षी स्वच्छ भारत अभियान के संदर्भ में राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमने एक देश के तौर पर खुद से गांधीजी की 150वीं जयंती पर दो अक्तूबर 2019 तक स्वच्छ भारत बनाने का वादा किया है।’ उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक नागरिक की स्वच्छ भारत को संभव बनाने के लिए अपना और समाज का स्वच्छ आंतरिक और बाहरी माहौल बनाने के लिए खुद को समर्पित करने की जिम्मेदारी है।’

मुखर्जी ने कहा, ‘मानव मल उठाने की अमानवीय प्रथा जब तक रहेगी, हम वास्तव में स्वच्छ भारत नहीं पा सकते।’ देश के शिक्षा परिदृश्य के बारे में मुखर्जी ने कहा कि इसमें ‘चरित्र निर्माण’ शामिल होना चाहिए। मुखर्जी ने कहा, ‘गांधी जी ने कहा था और मैं उन्हें उद्धृत करता हूं, ‘साहित्यिक शिक्षा का कोई मूल्य नहीं है, यदि यह मजबूत चरित्र बनाने में सक्षम नहीं हो।’

उन्होंने देश के उच्च शिक्षा क्षेत्र के सामने मौजूद कई चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि गुणवत्ताा सुनिश्चित करने और उत्कृष्टता लाने के अलावा शिक्षा को किफायती बनाना जरूरी है। मुखर्जी ने आश्रम परिसर में नवनिर्मित ‘अभिलेखागार और अनुसंधान केंद्र’ का उद्घाटन किया जहां गांधीजी के 1.35 लाख से अधिक मूल लेखों की पांडुलिपियां हैं। इस दौरान उनके साथ गुजरात के राज्यपाल ओपी कोहली और राज्य की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल थीं। मुखर्जी ने आश्रम के भीतर ‘हृदय कुंज’ का भी भ्रमण किया जहां स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान गांधीजी रहे।