भारत सरकार दावा करती रही है कि उद्यमियों के लिए ऋण उपलब्ध कराने के लिए आसान तरीके बनाए गये हैं। यह भी दावा है कि उद्यमियों को अपने काम शुरू करने या पहले से चल रहे काम को बढ़ाने या नई जरूरतों के लिए कई तरह के ऋण दिए जा रहे हैं। अब इन दावों के उलट देश में किसानों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) और महिला उद्यमियों के लिए ऋण की कमी होने की रिपोर्ट सामने आई है।
समिति ने सरकार के सामने कई सिफारिशें की हैं
यह दावा लोक लेखा समिति (2023-24) की 149वीं रपट जो ‘बैंकिंग में सुधार’ पर आधारित है, में यह दावा किया गया है। समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि देश में किसानों, एमएसएमई और महिला उद्यमियों तक पहुंचने के लिए ठोस प्रयास किए जाने की जरूरत है।
इसके अलावा समिति ने कहा कि देश में खोले गए जनधन खातों का कम उपयोग होता है। समिति ने सिफारिश की है कि खाताधारकों को जनधन खातों के लाभ के बारे में जागरूक करें। लोकसभा अध्यक्ष के सामने 29 अप्रैल को प्रस्तुत 149वीं रपट में कहा गया है कि समिति ने यह नोट करते हुए कहा कि सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यम (MSME), कृषि क्षेत्रों और महिला उद्यमियों के बीच ऋण की कमी बनी हुई है।
समिति ने इच्छा व्यक्त की है कि इन क्षेत्रों तक पहुंचने और उनकी विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने वाले नवाचारी वित्तीय उत्पादों और सेवाओं को तैयार करने के लिए ठोस प्रयास किए जाएं। इसके अलावा, समिति इच्छा व्यक्त करती है कि कमजोर एमएसएमई और कृषि क्षेत्रों में तनाव को दूर करने के लिए तीव्र गति से कार्य करने वाला सरल तंत्र तैयार किया जाए ताकि उनके विकास को सुगम बनाया जा सके।
दूसरी ओर, समिति मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, जनधन योजना के तहत खोले गए बैंक खातों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि के बावजूद, इन खातों का एक बड़ा हिस्सा निष्क्रिय रहता है या इनका उपयोग कम होता है। समिति चाहती है कि बैंकों को खाताधारकों से संपर्क करना चाहिए और उन्हें बचत पर मिलने वाले ब्याज से होने वाली आय और उपलब्ध बीमा लाभों सहित सक्रिय बैंक खाते के अन्य लाभों के बारे में जागरूक करना चाहिए।