प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार (11 अक्टूबर) को कांग्रेस नेता पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की 54 करोड़ की संपत्ति और बैंक डिपोजिट जब्त कर ली है। यह कार्रवाई आइएनएक्स मीडिया से संबंधित केस में की है। जब्त की गई संपत्ति में दिल्ली के जोर बाग स्थित घर, ऊंटी और कोडिकनाल स्थित बंगला, यूके स्थित आवास और बर्सिलोना की संपत्ति शामिल है। ईडी द्वारा की गई कार्रवाई बाद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि यह कार्रवाई पूरी तरह गलत है। मैं इस मामले में कोर्ट जाऊंगा। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा, “यह एक विचित्र ऑर्डर है। संपत्ति जब्त करने का जो निर्णय लिया गया है, वह कानून और तथ्यों पर अधारित नहीं है। यह सिर्फ हेडलाइंस में बने रहने के लिए किया गया है। अपील और समीक्षा के बाद यह आदेश यह न्यायिक जांच के समक्ष कभी नहीं टिकेगा। मैं इस मामले में कानून की शरण लूंगा।”
A bizarre and outlandish ”Provisional Attachment Order” which is not based on law or facts but on crazy conjectures. This is meant only to grab ”headlines”. The ”order” will not withstand judicial scrutiny, review or appeal. Will approach the appropriate legal forum. https://t.co/96RwYiAglp
— Karti P Chidambaram (@KartiPC) October 11, 2018
संपत्ति जब्त करने की यह कार्रवाई धन शोधन निवारण कानून (पीएमएलए) के तहत की गई है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने बताया, “एनमएलए के तहत ब्रिटेन के समरसेट में स्थित एक कॉटेज तथा एक मकान, स्पेन के बर्सिलोना में स्थित एक टेनिस क्लब, तमिलनाडू के कोडैकनाल, ऊंटी और दिल्ली के जोरबार स्थित फ्लैट को जब्त किया गया है। इसके साथ ही एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर चेन्नई की एक बैंक में रखी गई 90 लाख रुपये की फिक्स डिपोजिट को भी जब्त किया गया है। ये संपत्तियां कार्ति और कथित रूप से उनसे जुड़ी कंपनी एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर है।”
इससे पहले दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई और ईडी की ओर से दाखिल एयरसेल-मैक्सिस मामले में पी.चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति की गिरफ्तारी की छूट की अवधि को एक नवंबर तक बढ़ा दिया था। बता दें कि बीते 19 जुलाई को सीबीआई ने चिदंबरम और उनके बेटे के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। सीबीआई इस बात की जांच कर रहीह ै कि 2006 में पी चिदंबरम के वित्त मंत्री के पद पर रहते हुए कैसे एक विदेशी कंपनी को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड की मंजूरी दिला दी गई। जबकि ऐसा करने का अधिकार सिर्फ कैबिनेट के आर्थिक मामलों की समिति को ही है। 3500 करोड़ रुपये के एयरसेल-मैक्सिस डील ओर 305 करोड़ रुपये के आईएनएक्स मीडिया केस में चिदंबरम की भूमिका की जांच की जा रही है।