बीते गुरुवार को उत्तरप्रदेश प्रशासन द्वारा ज़बरदस्ती धरना ख़त्म कराए जाने पर किसान नेता राकेश टिकैत रो पड़े थे। राकेश टिकैत ने भावुक होते हुए कहा था कि वह आत्महत्या कर लेंगे लेकिन आंदोलन समाप्त नहीं करेंगे। पुलिस की बढती संख्या को देखकर भावुक होने वाले राकेश टिकैत भी कभी दिल्ली पुलिस के जवान रह चुके हैं। वैसे राकेश टिकैत के गाँव सिसौली में एक कहावत है कि दिल्ली पुलिस का एक सिपाही सौ बीघे खेत वाले किसान के बराबर है। हालाँकि राकेश टिकैत ने बाद में दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़ दी थी।

राकेश टिकैत बाबा टिकैत के नाम से मशहूर चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बटे हैं। 4 जून 1969 को मुज़फ़्फरनगर के सिसौली में जन्मे राकेश ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एलएलबी और एमए की पढाई की। एलएलबी के बाद साल 1992 में राकेश टिकैत ने दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल की नौकरी भी की लेकिन साल 1993-94 में जब दिल्ली में बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में किसानों का आंदोलन चल रहा था तो उनकी क़िस्मत ही बदल गयी। बाद में प्रशासन ने आंदोलन खत्म कराने के लिए राकेश पर दबाव बनाया। प्रशासन की ओर से उन्हें कहा गया कि वह अपने पिता से बात करें और आंदोलन को खत्म कराए।

हालाँकि प्रशासन के भारी दवाब के बावजूद राकेश नहीं झुके। वे दिल्ली पुलिस की नौकरी छोड़ अपने पिता के साथ किसान आंदोलन में शामिल हो गए। किसानों और उनसे जुड़े मुद्दों की लड़ाई के चलते राकेश टिकैत 44 बार जेल जा चुके हैं। मध्यप्रदेश में किसान के भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ राकेश टिकैत को 39 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था। इतना ही नहीं उन्होंने एकबार दिल्ली में संसद भवन के बाहर किसानों के गन्ना का मूल्य बढ़ाने हेतु सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था और गन्ना जला दिया था। जिसकी वजह से राकेश टिकैत को तिहाड़ जेल भेज दिया गया था। इसके अलावा राकेश ने राजस्थान में भी बाजरे का मूल्य बढाए जाने को लेकर आंदोलन किया था जिसके बाद उन्हें जयपुर जेल जाना पड़ा था।

राकेश टिकैत बाबा महेंद्र सिंह टिकैत के दूसरे बेटे और नरेश टिकैत के छोटे भाई हैं. वे इस वक्त भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं। यह संगठन उत्तर प्रदेश और उत्तर भारत समेत पूरे देश में फैला हुआ है।