लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस पार्टी को 99 सीटें मिली। राहुल गांधी ने अमेठी और वायनाड लोकसभा सीट दोनों जगहों से जीत हासिल की। अब उन्होंने वायनाड सीट को छोड़ने का फैसला लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राहुल गांधी वायनाड सीट छोड़ेंगे जबकि रायबरेली से सांसद बने रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि गांधी परिवार से ही प्रियंका गांधी वायनाड से चुनाव लड़ेंगी।
प्रियंका ने वायनाड क्यों चुना?
अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर प्रियंका गांधी ने वायनाड को ही क्यों चुना है? 2014 से जब कांग्रेस पार्टी मुश्किल में आई तब साउथ इंडिया ही कांग्रेस का सहारा बना है। 2019 में राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए और उस दौरान भी उन्हें सहारा वायनाड ने ही दिया था और सांसद बनाकर संसद भेजा।
अगर हम इतिहास के पन्नों पर नजर डालें, तो साउथ इंडिया हमेशा से कांग्रेस के लिए सहारा बना है। इमरजेंसी में जब इंदिरा गांधी चुनाव हार गईं तो साउथ इंडिया ने ही उनकी वापसी कराई थी। सोनिया गांधी ने भी अपना राजनीतिक कैरियर साउथ इंडिया से शुरू किया था। वहीं लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस पार्टी को 42 सीटें साउथ इंडिया से ही मिली है।
वहीं जब 2014 और 2019 में कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे खराब रहा तब भी साउथ इंडिया से ही उसे बूस्टर डोज मिला था। कांग्रेस पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में केवल 52 सीटें जीती थी। इसमें से 29 सीटें साउथ इंडिया से थी। वहीं 2014 में कांग्रेस पार्टी अपने सबसे बुरे दौर से गुजरी थी और उसे महज 44 सीटों पर जीत मिली थी। इसमें से 19 सीटें साउथ इंडिया थीं।
इंदिरा गांधी का भी सहारा बना था साउथ इंडिया
वहीं अगर हम 47 साल पीछे जाए तो 1977 में देश में लोकसभा चुनाव हुए थे। उस चुनाव में कांग्रेस पार्टी 154 सीटों पर सिमट गई थी। इस दौरान भी 154 में से 93 सीटें कांग्रेस पार्टी को साउथ इंडिया से ही मिली थी। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश की एक भी सीट पर जीत नहीं पाई थी और इंदिरा गांधी खुद अपना चुनाव हार गई थीं। हार के बाद साउथ से ही इंदिरा गांधी संसद पहुंची थी। कर्नाटक की चिकमगलूर सीट से इंदिरा गांधी सांसद बनी थीं।
सोनिया को भी साउथ ने पहुंचाया था संसद
1999 के लोकसभा चुनाव से पहले सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बन गईं। संसद पहुंचने के लिए दो सीटें तलाशी गई थी। पहली सीट उत्तर प्रदेश की अमेठी और दूसरी कर्नाटक की बेल्लारी थी। बेल्लारी से सोनिया के सामने बीजेपी की फायरब्रांड नेता सुषमा स्वराज थीं। हालांकि सोनिया गांधी ने अमेठी और बेल्लारी दोनों से जीत दर्ज की। बाद में सोनिया गांधी ने बेल्लारी से इस्तीफा दे दिया था।
इसलिए प्रियंका गांधी ने वायनाड को चुना
ऐसे में आंकड़ों से स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी के लिए साउथ क्यों जरूरी है? इसीलिए अगर एक गांधी परिवार का चेहरा वायनाड छोड़ रहा है तो उसी परिवार का चेहरा उस सीट से उपचुनाव लड़ेगा।