कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी अपना चुनावी डेब्यू करने जा रही हैं, जिस पल का इंतजार पार्टी कई सालों से कर रही थी, जिस बात की चर्चा सभी की जुबान पर थी, अब प्रियंका गांधी सक्रिय रूप से चुनावी राजनीति में एक्टिव दिखेंगी। वायनाड से उनका उपचुनाव लड़ना बड़े संदेश दे गया है। अगर प्रियंका वायनाड से यह चुनाव जीत जाती हैं, कांग्रेस के लिए हर मायने से फायदे की स्थिति रहने वाली है। यहां आपको बताते हैं 5 बड़े फायदे जो प्रियंका के चुनावी डेब्यू से कांग्रेस हासिल कर सकती है।

दक्षिण में कांग्रेस होगी और ज्यादा मजबूत

कांग्रेस के लिए दक्षिण भारत काफी अहम है। चुनावी नजरिए से समझें तो पार्टी वर्तमान में भी सबसे ज्यादा सीटें दक्षिण के राज्यों से हासिल करती है। लेकिन अभी तक राहुल गांधी के अलावा कांग्रेस के पास कोई दूसरा बड़ा या कहना चाहिए गांधी परिवार का चेहरा यहां मौजूद नहीं था। लेकिन अगर प्रियंका वायनाड से चुनाव जीत जाती हैं, उस स्थिति में पूरे केरल के साथ-साथ दक्षिण भारत में इसका असर देखने को मिलेगा। वायनाड को सिर्फ कांग्रेस की सुरक्षित सीट नहीं कहा जा सकता है, इसके ऊपर यहां की जनता के मन में एक भावनात्मक रिश्ता भी चलता है।

इसी वजह से प्रियंका गांधी को भी वायनाड से अपार समर्थन मिल सकता है। वो समर्थन फिर कांग्रेस को खड़ा करने में मदद कर सकता है। प्रियंका की इस बार की 2024 के चुनाव में मेहनत किसी से छिपी नहीं है, उनके प्रचार ने पार्टी को काफी फायदा पहुंचाया है। इसके ऊपर अगर दक्षिण भारत में कांग्रेस का प्रदर्शन देख लिया जाए, कहना गलत नहीं होगा यहां पर पार्टी का प्रदर्शन शानदार है। इस बार के चुनाव में 42 सीटें दक्षिण से निकली हैं, पिछली बार भी 29 सीटें जीती थीं और 2014 में 19। ऐसे में दक्षिण को बचाए रखना कांग्रेस के लिए जरूरी है और अभी के लिए पार्टी के लिए गांधी परिवार का ही कोई सदस्य यह टास्क कर सकता है।

केरल में कांग्रेस को फायदा

केरल में कांग्रेस पार्टी इस समय काफी ताकतवर हो गई है। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में केरल की 20 सीटों में से 17 पर सीटों पर कांग्रेस-यूडीएफ ने जीत का परचम लहराया था। अब 2026 में फिर केरल में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जानकार मानते हैं कि लेफ्ट के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी हावी रहने वाली है, ऐसे में कांग्रेस के पास कमबैक करने का शानदार मौका है। वो मौका ज्यादा इसलिए बन सकता है क्योंकि प्रियंका गांधी वहां पर एक एक्स फैक्टर के रूप में उभर सकती हैं। कांग्रेस के प्रचार को एक दिशा चाहिए होगी और वो दिशा प्रियंका देने में सक्षम हैं।

यूपी जहां पर कांग्रेस पूरी तरह पस्त हो चुकी थी, वहां पर अपनी चुनावी मैनेजमेंट से प्रियंका ने काफी स्थिति बदली है, अब जब केरल की राजनीति में वे सक्रिय होने जा रही हैं, ऐसे में वहां भी उनका प्रचार कांग्रेस को सीधा फायदा पहुंचा सकता है।

सशक्त महिला चेहरा

कांग्रेस पार्टी को एक महिला चेहरे की तलाश लंबे समय से है। यह वही पार्टी है जिसने इंदिरा गांधी जैसी नेता देखी है, जिसने सोनिया गांधी की लीडरशिप में जीत का स्वाद भी चखा है। लेकिन पिछले कुछ सालों में चुनावी राजनीति में कांग्रेस की तरफ से कोई बड़ा महिला चेहरा नहीं दिखा है। लेकिन अब अगर प्रियंका गांधी वायनाड से जीत जाती हैं, कांग्रेस को एक मजबूत महिला चेहरा मिलने वाला है। यह नहीं भूलना चाहिए कि यूपी के चुनाव के वक्त प्रियंका ने ही नारा दिया था- लड़की हूं लड़ सकती हूं। अब कांग्रेस ने उस नारे को साकार करने का काम कर दिया है। प्रियंका का चुनावी डेब्यू महिला वोटरों के बीच में भी तगड़ा मैसेज लेकर जाएगा।

राहुल गांधी पर कम होगी निर्भरता

राजनीतिक जानकार ऐसा मानते हैं कि प्रियंका के चुनावी डेब्यू में इतना समय इसलिए लग गया क्योंकि पहले राहुल गांधी को सियासी रूप से स्थापित करना जरूरी था।कांग्रेस पार्टी के अंदर में भी एक धड़ा ऐसा मानता है कि राहुल की तुलना में प्रियंका गांधी ज्यादा आक्रमक अंदाज में राजनीति कर सकती हैं। ऐसे में पूरी संभावना थी कि राहुल की राजनीति पर प्रियंका की सियासत हावी हो जाती। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। राहुल गांधी ने खुद को साबित कर दिया है, हाल ही में चुनाव में उनके उठाए मुद्दों ने जनता के साथ कनेक्ट बैठाया है, उनका अपना अंदाज चर्चा में रहा है।

ऐसे में अब प्रियंका गांधी का वक्त आ चुका है, वे भी चुनावी राजनीति में कूद सकती हैं। उस स्थिति में उनकी और राहुल गांधी की ताकत एक समान हो जाएगी। तब राहुल पर निर्भरता कम होगी और कई मामलों में प्रियंका ही अहम रोल निभाती दिख सकती हैं। पार्टी में उनका कद पहले की तुलना में बढ़ सकता है। वैसे भी बताया जाता है कि कांग्रेस को कई बार मुश्किल स्थिति से निकालने में प्रियंका ने अहम योगदान दिया है। बात चाहे हाल में यूपी में अखिलेश संग गठबंधन पर सहमति करना हो या फिर कई राज्यों में कांग्रेस की सरकार को गिराने से बचाना हो, प्रियंका ने आगे से लीड किया है।

लोकसभा में राहुल-प्रियंका की केमिस्ट्री

अगर प्रियंका गांधी चुनावी डेब्यू में ही जीत हासिल कर लेती हैं, कांग्रेस पार्टी के लिए लोकसभा में स्थिति काफी मजबूत बन जाएगी। आगामी चुनाव में पहले ही मजबूत प्रदर्शन कर खुद की उपस्थिति जोरदार तरीके से सदन में पार्टी महसूस करवाने वाली है, उसके ऊपर अगर प्रियंका गांधी का भी साथ मिल गया तो बीजेपी की राह इस बार आसान नहीं रहने वाली है। पिछले कुछ सालों में राहुल गांधी ही अकेले पीएम मोदी को निशाने पर लेने का काम कर रहे थे, अडानी-अंबानी का लगातार मुद्दा उठाते। लेकिन प्रियंका के साथ आ जान से कई दूसरे मुद्दों पर भी बहस होती दिख सकती है।

प्रियंका एक अच्छी वक्ता हैं, यह चुनावी प्रचार के दौरान साबित हो चुका है, इसके ऊपर ठीक समय पर ठीक मुद्दे उठाने को लेकर भी वे जानी जाती हैं। कुछ लोग तो मानते हैं कि राहुल गांधी की तुलना में ज्यादा बेहतर मुद्दे और बेहतर अंदाज में प्रियंका उठाती हैं। ऐसे में अगर सदन में दोनों भाई-बहन एकजुट हो गए तो तीखे प्रहार के लिए मोदी सरकार को तैयार रहना पड़ेगा।