प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव डा पीके मिश्र ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री कार्यालय में दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी (एनसीआर) क्षेत्र में वायु प्रदूषण से संबंधित उच्चस्तरीय कार्यबल की बैठक की अध्यक्षता की। इसमें क्षेत्र में वायु प्रदूषण को रोकने और कम करने की दिशा में किए जा रहे तमाम प्रयासों की विस्तार से समीक्षा की गई। साथ ही पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में कमी सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत इस मामले पर पैनी नजर रखने का निर्देश दिया है।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी। इसमें बताया कि सर्दियों का मौसम करीब आते ही क्षेत्र में प्रतिकूल वायु गुणवत्ता की समस्या से निपटने के लिए विभिन्न हितधारकों द्वारा की जाने वाली तैयारियों की समीक्षा के लिए ये बैठक आयोजित की गई थी। इसमें प्रमुख सचिव ने वायु प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले विभिन्न माध्यमों और बिखरे हुए स्रोतों से होने वाले प्रदूषण सहित वायु प्रदूषण के स्रोतों से होने वाले प्रभावों को कम करने के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में विस्तार से चर्चा की। इसके अलावा बैठक में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए हरियाली और पौधरोपण से जुड़ी पहल पर भी विचार-विमर्श किया गया।
जीआरएपी के कार्यान्वयन पर हुई चर्चा
प्रमुख सचिव ने त्वरित कार्यवाही योजना (जीआरएपी) के कार्यान्वयन, इसकी निगरानी और क्षेत्र स्तर पर इसके कार्यान्वयन में सुधार के उपायों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि वायु गुणवत्ता की गिरावट को रोकने के लिए सभी संबंधित पक्षों द्वारा कार्यवाही योजना में सूचीबद्ध कार्याें का कड़ाई से कार्यान्वयन करना जरूरी है। बैठक में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) के अध्यक्ष डा एमएम कुट्टी ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के उद्योगों को स्वच्छ ईंधन की ओर स्थानांतरित किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त 240 औद्योगिक क्षेत्रों में से 211 को पहले ही सीएनजी कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं। इसी तरह से सात हजार 759 ईंधन आधारित उद्योगों में से सात हजार 449 पीएनजी, अनुमोदित ईंधन पर स्थानांतरित किए जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि ई-वाहनों में वृद्धि हुई है और वर्तमान में एनसीआर में 4,12,393 ई-वाहन पंजीकृत हैं। ई-बसों और बैटरी चार्जिंग स्टेशनों की संख्या भी बढ़ी है तथा अब दिल्ली में 4,793 ईवी चार्जिंग पाइंट हैं।
बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाने पर जोर
बैठक में प्रमुख सचिव ने बहु आयामी दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया। इसके अलावा सभी हितधारकों द्वारा कार्ययोजना में बताए गए कदमों का सख्ती से कार्यान्वयन करने पर भी उन्होंने जोर दिया। बैठक में पर्यावरण मंत्रालय के अलावा कृषि, पेट्रोलियम, सड़क, परिवहन, राजमार्ग, आवास और शहरी कार्य, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के सचिवों ने भाग लिया।
इसके अलावा एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के अधिकारियों, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और एनसीटी दिल्ली के प्रमुख सचिव, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, डीपीसीसी के अधिकारीगण भी उपस्थित थे।
दिल्ली में हवा फिर हुई प्रदूषित
जनसत्ता: राजधानी दिल्ली सहित एनसीआर में खराब से सुधर कर मध्यम दर्जे में पहुंची हवा एक बार फिर खराब हो गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, सुबह नौ बजे तक शहर का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 237 था, जो ‘खराब’ श्रेणी के अंतर्गत आता है। शाम तक यह और बिगड़ कर 256 पहुंच गया। वहीं नोएडा में एक्यूआइ 250, ग्रेटर नोयडा में 288, गाजियाबाद में 218, गुरुग्राम में 177 व फरीदाबाद में 218 रहा।
शुक्रवार को मौसम अच्छा रहा और न्यूनतम तापमान 19.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग ने यह जानकारी दी। विभाग के मुताबिक, शुक्रवार को अधिकतम तापमान 36.2 डिग्री सेल्सियस रहा। सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, सुबह नौ बजे तक शहर का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) 237 था, जो खराब श्रेणी के अंतर्गत आता है। मौसम विभाग के मुताबिक, सुबह साढ़े आठ बजे तक सापेक्षिक नमी 80 फीसद दर्ज की गई।
पराली गलाने के जैव अपघटक का छिड़काव शुरू
जनसत्ता: राजधानी दिल्ली में किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने धान के खेतों में जैव अपघटक (बायो-डीकंपोजर) के छिड़काव का शुक्रवार को एक अभियान शुरू किया। सरकार 2020 से पूसा जैव अपघटक का इस्तेमाल कर रही है। यह जैव अपघटक एक माइक्रोबियल द्रव्य है, जो धान के अवशेषों को 15-20 दिनों में विघटित कर देता है। उन्होंने कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया कि जो किसान फार्म भर दिए हैं, उनके खेतों में जल्द से जल्द नि:शुल्क बायो डी-कंपोजर का छिड़काव करें।
छिड़काव के लिए अभी तक 880 किसानों ने फार्म भरा है। दिल्ली सरकार पांच हजार एकड़ से अधिक खेतों में नि:शुल्क बायो डी-कंपोजर का छिड़काव कराएगी। सरकार ने बायो डी-कंपोजर के छिड़काव के लिए 13 टीमों का गठन किया है। अक्टूबर-नवंबर में दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण गहराने के पीछे पराली जलाने के लिए खेतों में लगाई गई आग एक प्रमुख कारण होती है।
राय ने कहा कि सरकार ने पिछले साल 4,400 एकड़ धान के खेतों में जैव अपघटक का छिड़काव किया था। मंत्री ने कहा कि पंजाब में पराली बड़े पैमाने पर जलाई जाती है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि कृषि प्रधान राज्य में आप सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से खेतों में आग लगाने की घटनाओं में कमी आएगी। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार, दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में खेतों में जलाई गई पराली की अधिकतम हिस्सेदारी पिछले साल तीन नवंबर को 34 फीसद और सात नवंबर 2021 को 48 फीसद रही।
दिल्ली के कृषि विभाग ने शुक्रवार को तिगीपुर गांव से पराली को गलाने के लिए बायो डी-कंपोजर के छिड़काव की शुरूआत की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विकास मंत्री गोपाल राय बायो डी-कंपोजर के छिड़काव की शुरुआत करते हुए कहा कि दिल्ली के अंदर बासमती और गैर बासमती धान के सभी खेतों में सरकार की तरफ से नि:शुल्क बायो डी-कंपोजर का छिड़काव किया जाएगा। विकास मंत्री गोपाल राय ने कहा कि इससे पराली गल जाएगी और खेत की उपजाऊ क्षमता में भी बढ़ोतरी देखी गई।