प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता से उनके पोएस गार्डन स्थित आवास पर मुलाकात की। ये मुलाकात दोपहर भोज के दौरान हुई। संसद में महत्वपूर्ण आर्थिक विधेयकों पर समर्थन जुटाने की राजग की कोशिशों के परिप्रेक्ष्य में इस घटनाक्रम को उल्लेखनीय माना जा रहा है।
मोदी ने म्रदास विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस समारोहों की शुरुआत की। उसके बाद सीधे मुख्यमंत्री आवास गये, जहां जयललिता ने द्वार पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। सूत्रों ने बताया कि अन्नाद्रमुक प्रमुख ने प्रधानमंत्री को दोपहर भोज पर आमंत्रित किया था, जिसे मोदी ने स्वीकार किया था।
चर्चा के दौरान समझा जाता है कि जयललिता ने कर्नाटक और केरल के साथ अंतर-राज्यीय नदी विवादों सहित तमिलनाडु से जुडे मुद्दे उठाये और एक ज्ञापन भी सौंपा।
लोकसभा में राजग के विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर मोदी सरकार को अन्ना्रद्रमुक के पूर्ण समर्थन के परिप्रेक्ष्य में इस मुलाकात को महत्वपूर्ण समझा जा रहा है।
जयललिता ने हालांकि विधेयक को राज्यसभा में पारित कराने से पहले किसानों की चिन्ताओं का हवाला देते हुए कुछ आपत्तियां भी उठायी हैं।
लोकसभा में अन्नाद्रमुक के 37 सदस्य हैं जबकि राज्यसभा में ग्यारह। इससे पहले जयललिता ने हवाई अडडे पर मोदी का स्वागत किया। अपने संबोधन में मोदी ने समारोह के सफल आयोजन के लिए ‘डा. जयललिता’, राज्य सरकार और तमिलनाडु की जनता का धन्यवाद किया। इस समारोह में जयललिता उपस्थित नहीं थीं।
बाद में राज्य सरकार की विज्ञप्ति में बताया गया कि प्रधानमंत्री और राज्य की मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय हितों के कई मुद्दों पर चर्चा की। विज्ञप्ति के मुताबिक मुलाकात 50 मिनट चली।
मोदी अन्ना्रदमुक प्रमुख के आवास पर पहली बार गये। शराब एवं कानून व्यवस्था सहित कई मुददों पर भाजपा की राज्य इकाई के सत्ताधारी अन्नाद्रमुक से मतभेद हैं। जयललिता और मोदी परस्पर मित्रवत संबंध के लिए जाने जाते हैं।
गुजरात के मुख्यमंत्री रहते 2011 में मोदी जयललिता के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे।
भाजपा ने जब 2012 का विधानसभा चुनाव जीता तो गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में जयललिता भी शामिल हुई थीं।
जयललिता ने उठाए अंतर-राज्यीय नदी विवाद और जीएसटी के मुद्दे:
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष अपने राज्य से जुड़े कई मुद्दे उठाये। इनमें अंतर-राज्यीय नदी विवाद से लेकर जीएसटी जैसे मुद्दे शामिल थे। उन्होंने श्रीलंकाई तमिलों का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने श्रीलंका से कच्चाथीवू द्वीप वापस लेने की मांग के अलावा श्रीलंकाई तमिलों का कल्याण सुनिश्चित करने में भारत की भूमिका पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री ने कर्नाटक और केरल के साथ क्रमश: कावेरी और मुल्लापेरियार विवादों में केंद्र से हस्तक्षेप की मांग भी की।
राज्य सरकार की ओर से इस ज्ञापन की प्रति जारी की गयी। इसमें जयललिता ने मांग की है कि न्यायाधिकरण के अंतिम फैसले के कार्यान्वयन के लिए केंद्र को तत्काल कावेरी प्रबंधन बोर्ड और कावेरी जल नियमन समिति का गठन करना चाहिए।
जयललिता ने मेकेदातू में कावेरी नदी पर कर्नाटक द्वारा बांध बनाने के प्रस्ताव को न्यायाधिकरण के अंतिम फैसले का उल्लंघन करार दिया। उन्होंने मोदी से आग्रह किया कि वह कर्नाटक को सलाह दें कि तमिलनाडु की सहमति के बिना वह इस परियोजना को आगे नहीं बढ़ाए।