जनसत्ता ब्यूरो व एजंसी
नई दिल्ली/मुंबई। महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा के 15 साल पुराने गठबंधन के टूटने के तीन दिन बाद रविवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। राकांपा की समर्थन वापसी के बाद मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इस्तीफा दे दिया था। गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने महाराष्ट्र में केंद्रीय शासन लगाने की उद्घोषणा पर हस्ताक्षर कर दिए है। इससे पहले राज्यपाल ने शिवसेना और भाजपा को पत्र लिखकर अंतरिम सरकार के गठन की संभावनाएं तलाशी थीं। शनिवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की सिफारिश की थी। बैठक गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका में होने के कारण राजनाथ सिंह ने बैठक की अध्यक्षता की थी।
राकांपा की ओर से समर्थन वापस लिए जाने के साथ बीते शुक्रवार को चव्हाण ने इस्तीफा दे दिया था। राज्यपाल विद्यासागर राव ने शनिवार को उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया था। महाराष्ट्र में 15 अक्तूबर को विधानसभा चुनाव होने हैं। इसे देखते हुए राज्यपाल ने केंद्र को भेजी अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की थी। शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने चव्हाण पर अपनी उपेक्षा करने और सीटों के तालमेल पर वार्ता को अवरुद्ध करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस से गठबंधन खत्म कर लिया है।
कांग्रेस नेता राशिद अलवी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दिया है। राज्य में कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए था। राष्ट्रपति शासन की कोई जरूरत नहीं है। चुनाव में सिर्फ 15 दिन बचे हैं। वर्तमान विधानसभा में राकांपा के 62 विधायक हैं। उसके समर्थन वापस लेने के बाद चव्हाण के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक मोर्चा की सरकार अल्पमत में आ गई। कांग्रेस के 82 विधायक हैं।
राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करने से पहले राज्यपाल विद्यासागर राव ने शिवसेना और भाजपा को अलग-अलग पत्र लिखकर पूछा था कि मुख्यमंत्री के इस्तीफा देने के बाद क्या वे राज्य में अंतरिम सरकार का गठन करने की स्थिति में हैं। राज्यपाल ने शिवसेना नेता सुभाष देसाई को जो पत्र लिखा है, उसमें कहा गया है,‘लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार से 25 सितंबर को राकांपा द्वारा समर्थन वापस लिए जाने के बाद सरकार अल्पमत में आ गई है।’ पत्र में कहा गया है,‘इस संदर्भ में मैं सरकार गठित किए जाने की दूसरी संभावनाएं तलाश रहे हैं। ऐसे में शिवसेना विधायक दल का नेता होने की वजह से आपसे यह जानना चाहता हूं कि क्या आपकी पार्टी सक्षम है और सरकार गठित करने की इच्छुक है।’ राज्यपाल ने आगे कहा कि अगर दोनों पार्टियां इस पत्र का जवाब देने में नाकाम रहती हैं तो यह मान लिया जाएगा कि वे सरकार गठित करने की इच्छुक नहीं हैं।
इस पर सुभाष देसाई ने कहा कि उनकी पार्टी चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद ही सरकार गठित करेगी। देसाई ने कहा,‘हां, राज्यपाल ने मुझे एक पत्र भेजकर पूछा था क्या कि हम सरकार गठित करना चाहेंगे। मैं उनसे स्पष्ट तौर पर कह दिया कि उन्हें हमारे पास आने की जरूरत नहीं है।
हम उनके पास खुद जाएंगे, लेकिन चुनाव जीतकर बहुमत हासिल करने के बाद।’
ऐसा ही एक पत्र भाजपा नेता एकनाथ खडसे को भी भेजा गया था। कई बार प्रयास करने के बावजूद खडसे से संपर्क नहीं हो पाया।