उत्तराखंड में चल रहे राजनीतिक संकट के बीच वहां पर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने केंद्र सरकार की सिफारिश को मानते हुए राष्ट्रपति शासन को मंजूरी दे दी है। इस पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह सरकार का असंवैधानिक फैसला है। हालांकि, इस दौरान विधानसभा को भंग नहीं किया गया है, अभी इसी निलंबित ही रखा गया है। गौरतलब है कि सोमवार को हरीश रावत को अपनी बहुमत साबित करना था, लेकिन उससे पहले राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया।

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गौरतलब है कि शनिवार देर रात ही स्पीकर ने 9 बागी विधायकों को अयोग्‍य घोषित किए थे। इससे पहले बीजेपी नेताओं ने राष्ट्रपति से मिलकर राज्य में राष्‍ट्रपति शासन लगाने की मांग की। शनिवार को दिल्ली में केंद्र सरकार के मंत्रियों ने इस मसले पर बैठक भी की। इससे पहले सीएम हरीश रावत ने शनिवार आधी रात को स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल से मुलाकात कर दल-बदल कानून के तहत 9 बागी विधायकों को बर्खास्त करने की मांग की थी। स्‍पीकर ने इन विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए थे और जवाब नहीं मिलने पर सभी विधायकों को अयोग्‍य करार दे दिया। रावत ने शनिवार आधी रात को स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल से मुलाकात कर दल-बदल कानून के तहत 9 बागी विधायकों को बर्खास्त करने की मांग की थी। स्‍पीकर ने इन विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए थे और जवाब नहीं मिलने पर सभी विधायकों को अयोग्‍य करार दे दिया।

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शनिवार को हरीश रावत के खिलाफ बागी विधायकों ने एक स्टिंग जारी किया था, जिसमें सीएम और एक शख्स के बीच पैसे के लेन-देन की भी बातचीत होने का दावा किया जा रहा है। बागी कांग्रेस नेता हरक सिंह रावत का आरोप है कि उन्हें और उनके साथियों को जान से मारने की भी धमकी दी जा रही है। रावत का आरोप है कि कांग्रेस के 9 बागियों और कुछ बीजेपी विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश की जा रही है। इन आरोपों पर उत्तराखंड कांग्रेस का कहना है कि स्टिंग फर्जी है और इसकी जांच की जानी चाहिए। जांच में जो भी दोषी हो, उस पर कार्रवाई की जाए। बता दें कि हरीश रावत सरकार इस समय संकट में है। उनकी पार्टी के 9 विधायक बीजेपी के साथ मिल चुके हैं। गवर्नर ने सीएम हरीश रावत से कहा है कि वह 28 मार्च को बहुमत साबित करें।