देश में राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को वोट डाले जाएंगे और 21 जुलाई को देश को नया राष्ट्रपति मिल जायेगा। लगभग ये तय माना जा रहा है कि राष्ट्रपति एनडीए द्वारा समर्थित उम्मीदवार ही चुना जायेगा, क्योंकि वर्तमान में उसके पास लगभग 48 फीसदी वोट है। जबकि बाकी के वोट बीजेपी वाईएसआर कांग्रेस, एआईएडीएमके और बीजेडी के समर्थन से जुटा लेगी। लेकिन बीजेपी नंबर होने के बावजूद अन्य दलों का समर्थन हासिल करने में जुटी हुई है।
भाजपा ने रविवार को पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श करने के लिए नियुक्त किया। पार्टी का ये फैसला सर्वसम्मति विकसित करने की इच्छा का संकेत दे रहा है। इस कदम से पता चलता है कि भाजपा नेतृत्व अधिक से अधिक समर्थन प्राप्त करने का इच्छुक है और यदि संभव हो तो एक सर्वसम्मत उम्मीदवार दिया जाए।
भाजपा और उसके सहयोगियों के पास 48 प्रतिशत वोट (10.86 लाख वोटों में 5.26 लाख) हैं और उन्हें बीजद (जिसके पास 31,000 से अधिक वोट हैं), वाईएसआरसीपी (43,000 से अधिक वोट होने का अनुमान है) और एआईएडीएमके (15,000 के करीब वोट) जैसी पार्टियों की आवश्यकता होगी। इन दलों ने स्पष्ट रूप से पहले से ही भाजपा समर्थित उम्मीदवार के लिए अपना वोट देने का वादा किया है। बीजेपी के नेताओं का कहना है कि हमारे उम्मीदवार के चुनाव हारने का कोई सवाल ही नहीं है।
लेकिन बीजेपी नीतीश कुमार के कदम को लेकर चिंतित होगी क्योंकि पिछले 2 चुनावों में उन्होंने उस दल द्वारा समर्थित उम्मीदवार को समर्थन दिया, जिसके विरोध में वो सरकार में थे। जदयू नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सहयोगी मंत्री श्रवण कुमार ने कुछ दिन पहले सार्वजनिक रूप से बयान दिया था कि नीतीश कुमार भारत के राष्ट्रपति के लिए एक अच्छे उम्मीदवार हो सकते हैं।
भाजपा ने 2017 में अपने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के लिए 7,02,044 वोट हासिल किए। लेकिन वर्तमान में एनडीए के पास कुल 5.26 लाख हैं। निर्वाचक मंडल में लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाएं शामिल हैं और भाजपा के पास केवल निचले सदन में बहुमत है।