जम्मू-कश्मीर में 6 साल बाद राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया है। गृह मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि जम्मू और कश्मीर के संबंध में 31 अक्टूबर 2019 का आदेश मुख्यमंत्री की नियुक्ति से तुरंत पहले निरस्त हो जाएगा। विधानसभा चुनाव के बाद नई सरकार के गठन की तैयारियां तेज हो गई हैं। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन ने जीत हासिल की है। जम्मू-कश्मीर में 10 साल पहले 2014 में विधानसभा चुनाव हुए थे। तब पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन की सरकार बनी थी।
एनसी-कांग्रेस गठबंधन को मिला बहुमत
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन को बहुमत मिला है। चुनाव में गठबंधन को 49 सीटों पर जीत मिली है जबकि बीजेपी के खाते में 29 सीटें आई हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया। बता दें कि जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में औपचारिक रूप से विभाजित करने के बाद 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था। जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम- 2019 को संसद ने पांच अगस्त 2019 को पारित किया था। इसी दिन संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया था।
16 अक्टूबर को हो सकता है शपथ ग्रहण
जम्मू-कश्मीर की 90 सीटों के नतीजे 8 अक्तूबर को आए थे। चुनाव में बीजेपी दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी है। मौजूदा विधानसभा की बात करें तो यहां 51 विजेता प्रत्याशी पहली बार विधानसभा चुनाव जीते हैं। कश्मीर में आम आदमी पार्टी का भी खाता खुला है। उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नई सरकार के गठन की तैयारी तेज हो गई है। माना जा रहा है कि 16 अक्तूबर को नई सरकार का शपथ ग्रहण हो सकता है। गुरुवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस की बैठक में पार्टी ने सर्वसम्मति से उमर अब्दुल्ला को विधायक दल का नेता चुन लिया था। बता दें कि 2018 में बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया और महबूबा मुफ्ती की सरकार गिर गई। इसके बाद यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। 2019 में धारा-370 हटने के बाद से यहां राष्ट्रपति शासन लगा हुआ था।