राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार को कहा कि शांति के प्रति भारत पूरी दृढ़ता से प्रतिबद्ध है लेकिन अपनी संप्रभुता की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए वह पूरी सैन्य ताकत लगाने को हमेशा तैयार है। सशस्त्र बलों के सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने यहां भारतीय वायुसेना के 18वें और 22वें स्क्वाड्रन को राष्ट्रपति मानक प्रदान किया। इन दोनों स्क्वाड्रन में उत्कृष्ट मिग 27 लड़ाकू विमान परिचालित होते हैं, जो शांति और युद्ध के समय भारत के पूर्वी आकाश की सुरक्षा सुनिश्चित करने की चौकसी करते हैं।
ये स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के अलीपुरदुआर जिले में स्थित है जो भारत-भूटान सामरिक महत्त्व के क्षेत्र के पास स्थित है और इसे भारत की उत्तर पूर्वी सीमा पर नजर रखने का दायित्व सौंपा गया है। भारतीय वायु सेना के इन दोनों स्क्वाड्रन को सम्मानित करने के बाद राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रों के बीच भारत का महत्त्व हमारे सशस्त्र बलों की क्षमताओं के कारण बढ़ा है। हम हालांकि शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं, हम राष्ट्र की संप्रभुता की सुरक्षा के लिए हमारी पूरा ताकत का इस्तेमाल करेंगे।
मुझे विश्वास है कि सेना में हमारे वीर पुरुष व महिलाएं इस अवसर पर एकजुट होंगे। राष्ट्रपति ने भारतीय वायुसेना की सराहना करते हुए इसे देश की सैन्य शक्ति की विशेषता बताया। उन्होंने महिला व पुरुष जवानों की प्रशंसा करते हुए कहा कि सशस्त्र बल, हमारे वायु योद्धाओं से परिलक्षित होता है जो हमारे लिए चौकस रहते हैं और हमारे हितों की सुरक्षा के संकल्प को प्रदर्शित करते हैं।
सशस्त्र बलों की इकाइयों को एक समयकाल में अभूतपूर्व व समर्पित सेवाएं प्रदान करने के लिए राष्ट्रपति मानक प्रदान किया जाता है। दोनों इकाइयों को पिछले 50 वर्षों से ऐसी सेवा प्रदान करने के लिए यह सम्मान प्रदान किया गया। 18वें स्क्वाड्रन को ‘फ्लाइंग बुलेट’ कहा जाता है और इसका गठन 1965 में अंबाला में किया गया था, जबकि 22वें स्क्वाड्रन का गठन 1966 में बरेली में किया गया था और इसके बाद से यह हासीमारा वायुसेना अड्डे पर स्थित है।
प्रणब मुखर्जी ने कई मानवीय त्रासदियों व आपदाओं में राहत अभियान चलाने के लिए भारतीय वायुसेना की भूमिका की सराहना की, विशेष तौर पर 2013 में उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा और इस साल अप्रैल में नेपाल में भूकम्प के दौरान के अभियानों की। वायुसेना और इन दोनों इकाइयों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘देश को आप पर गर्व है’। शनिवार को सम्मानित होने वाली इन दोनों इकाइयों ने 1971 में भारत-पाक युद्ध में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 18वां स्क्वाड्रन सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र प्राप्त करने वाली एकमात्र इकाई है, जिसके फ्लाइंग आफिसर निर्मलजीत सिंह शेखों को उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदान किया गया था जिन्होंने पाकिस्तानी वायुसेना के सैब्रे लड़ाकू विमानों को मार गिराया था।
22वें स्क्वाड्रन को ‘स्विफ्ट’ कहा जाता है जो अपनी तेजी और चपलता के लिए मशहूर है। पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में ही जेसोर में एक विमान ने तीन पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को गिरा दिया था। सीमा पर स्थित स्क्वाड्रन को किसी भी आक्रमण के समय पूर्वी मोर्चे पर सबसे पहले प्रतिक्रिया देने का दायित्व है। अन्य पड़ोसियों के अलावा इस क्षेत्र में चीन हमारा प्रमुख पड़ोसी है।
इस मौके पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अरूप राहा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा राज्य सरकार के अधिकारी भी मौजूद थे। इस समारोह के दौरान राष्ट्रपति ने परेड का भी निरीक्षण किया और इस दौरान मिग 27 ने हवाई मार्च पास्ट किया और हॉक विमान ने ‘सूर्यकिरण’ आकृति उकेरी और सुखोई 30 विमानों ने कई तरह के हवाई करतब दिखाए।

