महाकुंभ मेला 2025 में इस बार एक नया मोड़ देखने को मिलेगा, जब योगी आदित्यनाथ की सरकार संगम में डुबकी लगाने के बाद जनकल्याण के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेगी। इसके तहत प्रदेश और प्रयागराज के हित में कैबिनेट की बैठक आयोजित की जाएगी, जो एक ऐतिहासिक पल होगा। महाकुंभ के इस बड़े आयोजन के दौरान विधानमंडल की विशेष बैठक भी बुलाने की योजना बनाई जा रही है, जिसमें प्रदेश के सभी जनप्रतिनिधि एक साथ बैठकर महाकुंभ के धार्मिक और विकास कार्यों पर विचार करेंगे।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने की तैयारियों की समीक्षा

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हाल ही में 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुंभ के तैयारियों की समीक्षा के लिए प्रयागराज पहुंचे थे। गुरुवार और शुक्रवार को दो दिवसीय दौरे में सीएम योगी ने मेला क्षेत्र की व्यवस्थाओं पर ध्यान दिया और अधिकारियों को कैबिनेट तथा विधानमंडल की बैठक की तैयारियों के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने महाकुंभ के आयोजन के बीच होने वाली विभिन्न सरकार की योजनाओं को लेकर एक्शन प्लान पर भी चर्चा की।

2019 के कुंभ में भी हुई थी योगी सरकार की कैबिनेट की बैठक

महाकुंभ का यह पहला मौका नहीं है जब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कैबिनेट बैठक हुई हो। 2019 में भी, जब योगी मुख्यमंत्री थे, तब कुंभ मेला के आयोजन के समय उन्होंने संगम के किनारे कैबिनेट की बैठक आयोजित की थी। इस बैठक में मेरठ से प्रयागराज तक बनने वाली गंगा एक्सप्रेस-वे जैसी महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दी गई थी, जो उत्तर प्रदेश के बुनियादी ढांचे के विकास में एक अहम कड़ी साबित हो रही है। इस एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य अब अंतिम चरण में है और इसकी लंबाई 594 किमी होगी, जो 12 जिलों को जोड़ेगा।

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योगी सरकार इस बार महाकुंभ के आयोजन में विधानमंडल की विशेष बैठक बुलाने की योजना पर काम कर रही है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना के मुताबिक, बैठक की तारीख और स्वरूप पर विचार-विमर्श चल रहा है और इसे जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा। इस बैठक में आस्था और विकास दोनों को जोड़ने की कोशिश की जाएगी, जिससे प्रदेश की राजनीति और प्रशासनिक दिशा को मजबूत किया जा सके।

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अगर महाकुंभ में विधानमंडल की बैठक होती है तो यह यूपी के इतिहास में एक अनूठा क्षण होगा। पहले जब यूपी का राज्य अस्तित्व में नहीं था, तब 8 जनवरी 1887 को नॉर्थ वेस्टर्न प्रॉविंसेज ऐंड अवध लेजिस्लेटिव काउंसिल की पहली बैठक इलाहाबाद के थार्नहिल मेमोरियल हॉल में हुई थी। इसके बाद 2003 में यूपी विधानसभा के 50 वर्षों के उत्तरशती समारोह के दौरान भी विधानमंडल की बैठक आयोजित हुई थी, लेकिन महाकुंभ के दौरान विधानमंडल की बैठक पहली बार एक नए राजनीतिक और धार्मिक पहलू को प्रस्तुत करेगी।

महाकुंभ में न केवल आम लोग, बल्कि संवैधानिक प्रमुखों का भी आगमन तय हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही महाकुंभ से जुड़ी 5,000 से अधिक परियोजनाओं का लोकार्पण किया था, और मेला अवधि के दौरान वे फिर संगम स्थल पहुंचेंगे। इसके अलावा, 10 फरवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के महाकुंभ में आने की संभावना है, जो महाकुंभ के महत्व को और बढ़ाएगा।

महाकुंभ मेला के इस आयोजन में योगी सरकार और प्रदेश की विधानमंडल के दोनों सदनों का संगम आस्था, जनकल्याण और विकास के दृष्टिकोण से एक नई दिशा में जाएगा। जहां एक ओर धार्मिक आस्थाएं और प्रतीकात्मक डुबकी होंगी, वहीं दूसरी ओर विकास और जनकल्याण के निर्णयों के साथ यह मेला इतिहास के पन्नों में एक नई इबारत लिखेगा।