Adi Shankar Viman Mandapam: प्रयागराज, भारत का पवित्र तीर्थ स्थल, अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। प्रयागराज को तीर्थों का राजा माना जाता है, जहां धर्म, आध्यात्मिकता और परंपरा का अद्भुत संगम होता है। यह शहर न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है। वेदों, पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में इस शहर का विशेष स्थान है, जो इसके धार्मिक महत्त्व को और भी बढ़ाता है। प्रयागराज में स्थित कई मंदिर न सिर्फ आध्यात्मिक साधना के केंद्र हैं, बल्कि ये लोगों को अच्छाई, नैतिकता और सत्कर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा भी प्रदान करते हैं। यह स्थान आस्थाओं और विश्वासों के साथ-साथ जीवन के उच्चतम आदर्शों की ओर मार्गदर्शन करने का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इसी कड़ी में श्री आदिशंकर विमान मंडपम, जिसे शंकराचार्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक अद्वितीय स्थल है। यह मंदिर हिंदू धर्म की गहन आध्यात्मिक परंपराओं और स्थापत्य कला का अद्भुत संगम है।

आदिशंकर विमान मंडपम का इतिहास

इस मंदिर का निर्माण 1986 में श्री कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती की पहल पर शुरू हुआ। मंदिर का उद्घाटन उनके उत्तराधिकारी, शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती द्वारा किया गया। यह स्थान आदि शंकराचार्य की शिक्षाओं और हिंदू धर्म की तीन प्रमुख धाराओं-शैव, वैष्णव, और शक्तिवाद-का प्रतीक है।

मंदिर की वास्तुकला

130 फीट ऊंचा यह मंदिर द्रविड़ शैली में निर्मित है। इसमें चार मंजिलें हैं, जिनमें प्रत्येक का अपना विशेष धार्मिक महत्व है।

पहली मंजिल पर आदि शंकराचार्य की मूर्तियां स्थापित हैं।
दूसरी मंजिल देवी कामाक्षी और 51 शक्तिपीठों को समर्पित है।
तीसरी मंजिल वेंकटेश्वर (बालाजी) और 108 विष्णु-पीठों के लिए है।
चौथी मंजिल पर सहस्र योग लिंग और 108 शिवलिंग विराजमान हैं।
मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की छवियों और रामायण के भित्ति चित्रों की सुंदरता देखते ही बनती है।

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मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आकर्षण है, जहां शिव मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का नियमित जाप और भजन-कीर्तन होता है। महाशिवरात्रि, श्रावण सोमवार और कार्तिक पूर्णिमा जैसे त्योहार यहां विशेष उत्साह के साथ मनाए जाते हैं।

महाकुंभ 2025 में विशेष भूमिका

आगामी प्रयागराज महाकुंभ 2025 में यह मंदिर विशेष आकर्षण का केंद्र बनेगा। महाकुंभ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के माध्यम से भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता को जानने का अवसर मिलेगा।

मंदिर के शिखर से संगम का दृश्य और यहां की दिव्यता, महाकुंभ के अनुभव को और भी खास बनाएगी। यह स्थल न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि भारतीय परंपरा और स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण भी है।

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प्रयागराज के नैनी स्थित अरैल तट पर महाकुंभ 2025 की भव्यता और आध्यात्मिकता को और अधिक समृद्ध करने के लिए शिवालय पार्क का निर्माण हो रहा है। 14 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रहा यह पार्क 11 एकड़ में फैला है और भारतीय संस्कृति, मंदिरों की महिमा और पुराणों की दिव्यता को दर्शाने वाला अनूठा स्थल बनने जा रहा है। शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्माणाधीन शिवालय पार्क का निरीक्षण किया और कार्यों को तय समय पर पूरा करने का निर्देश दिया। यह स्थल न केवल कला और संस्कृति का केंद्र होगा, बल्कि प्रकृति और मनोरंजन का भी संगम पेश करेगा। पढ़ें पूरी खबर