कोर्ट की अवमानना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया है। अब 20 अगस्त को कोर्ट उनकी सजा पर बहस करेगा। इस बीच इस पूरे मामले पर कांग्रेस ने चुप्पी साधी हुई है। इसके पीछे कई वजह बतायी जा रही हैं। कांग्रेस के कुछ नेताओं का मानना है कि पार्टी को किसी व्यक्ति के अवमानना मामले पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। वहीं कुछ नेताओं को लगता है कि पार्टी को सजा के ऐलान के बाद इस पर कोई टिप्पणी करनी चाहिए।

द इंडियन एक्सप्रेस में छपे लेख दिल्ली कॉन्फिडेंशियल के अनुसार, पार्टी के एक धड़े को लगता है, जिसमें अधिकतर युवा नेता शामिल हैं, कि कांग्रेस पार्टी को प्रशांत भूषण का समर्थन नहीं करना चाहिए क्योंकि वह यूपीए के दूसरे कार्यकाल के काफी आलोचक रहे थे। खासकर 2जी स्पेक्ट्रम और कोल ब्लॉक आवंटन के मामले में प्रशांत भूषण ने यूपीए सरकार को जमकर निशाना साधा था। इस बीच पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की सोच इससे जुदा है।

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पार्टी को आलोचना को दबाने की कोशिश का विरोध करना चाहिए। उनका तर्क है कि असंतोष ही तो लोकतंत्र का दिल है। ऐसे में पार्टी को प्रशांत भूषण के मामले में बोलना चाहिए।

बता दें कि जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने पांच अगस्त को प्रशांत भूषण के दो ट्वीट को लेकर कोर्ट की अवमानना के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कानून के तहत कोर्ट की अवमानना के दोषी को 6 माह की जेल या दो हजार रुपए का जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है।