वैयक्तिक स्वतंत्रता को बरकरार रखने में भारतीय मीडिया की भूमिका की प्रशंसा करते हुए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को कहा कि उसने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से कभी समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के विस्तार से मीडिया के सामने समस्या खड़ी होगी लेकिन उम्मीद जताई कि वह चुनौतियों से पार पाने में सफल होगा। मुखर्जी ने यह भी कहा कि मीडिया निजी हाथों में ही ठीक है।

मलयाला मनोरमा समूह के दिवंगत मुख्य संपादक केएम मैथ्यू की आत्मकथा ‘द एट्थ रिंग’ का राष्ट्रपति भवन में विमोचन करते हुए मुखर्जी ने कहा कि स्वतंत्रता के पहले से ही अखबार और पत्रिकाओं सहित मीडिया ने काफी योगदान किया है। समारोह में विभिन्न क्षेत्रों की कई हस्तियों ने शिरकत की जहां मुखर्जी ने केएम मैथ्यू को श्रद्धांजलि अर्पित की जिन्हें वे व्यक्तिगत रूप से जानते थे। उन्होंने मलयाला मनोरमा समूह के विस्तार में मैथ्यू की भूमिका को रेखांकित किया।

उन्होंने कहा- मैं केएम मैथ्यू को अपने जीवन के शुरुआती दिनों से जानता था। राष्ट्रपति ने कहा कि वे मीडिया को सलाम करते हैं क्योंकि इसने लोगों के बोलने की आजादी से कभी समझौता नहीं किया भले ही संघर्ष का स्तर अलग-अलग हो। देश में मीडिया के विस्तार का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि तब से स्थापित अखबार बेहतर कर रहे हैं। उन्होंने कहा- प्रौद्योगिकी समस्या खड़ी करेगी, लेकिन मैं महसूस करता हूं कि भारतीय पत्रकारों और संपादकों में सामंजस्य स्थापित करने की क्षमता है और वे सामंजस्य करेंगे। मुझे विश्वास है कि मीडिया प्रौद्योगिकी की तरफ से पेश आने वाली चुनौतियों पर पार पाने में सफल होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि पुरानी परंपरा वाले प्रौद्योगिकी के विस्तार से खतरा महसूस करते हैं लेकिन इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि इंटरनेट ने दुनिया को एक छोटे से गांव में तब्दील कर दिया है। उन्होंने कहा कि मीडिया निजी हाथों में ही ठीक है और कट्टर समाजवादी भी इसे सरकार के अधीन नहीं चाहते हैं। मीडिया के इतिहास के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि इसकी बढ़वार में नेताओं ने भी भूमिका निभाई। इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने याद किया कि कैसे जवाहर लाल नेहरू ने 1930 के दशक में एक अखबार में खुद से लेख लिखा था और कहा था कि उनमें तानाशाह बनने की इच्छा थी। मुखर्जी ने पुस्तक के अंग्रेजी संस्करण का विमोचन किया जिसका मलयालम संस्करण 2008 में जारी हुआ था।

मलयाला मनोरमा के मुख्य संपादक मैमन मैथ्यू ने पुस्तक के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने कहा कि केएम मैथ्यू चाहते थे कि अंग्रेजी संस्करण उनके जीवन में ही जारी हो लेकिन ऐसा नहीं हो सका क्योंकि अगस्त 2010 में उनका निधन हो गया। मशहूर वकील फली एस नरीमन ने केएम मैथ्यू को श्रद्धांजलि देते हुए खुशी जताई कि अब भी ऐसे लोग हैं जो टेलीविजन और इंटरनेट की दुनिया में किताबें पढ़ते हैं।

उन्होंने मुखर्जी की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे अपने दिल की बात बोलते हैं और उन्होंने जितने भी राष्ट्रपति देखे हैं, उनमें वे सबसे ज्यादा सीधा और सपाट बोलने वाले राष्ट्रपति हैं। एनडीटीवी के अध्यक्ष प्रणय राय ने केएम मैथ्यू को पत्रकारिता में बड़ी हस्ती बताया जिन्होंने अपनी जिंदगी की सभी लड़ाइयां जीतीं।