कांग्रेस पार्टी लगातार चुनावी राजनीति में असफलताओं का सामना कर रही है। इसको लेकर लगातार कांग्रेस पार्टी के ही नेता ही दबे मुंह आलोचना करते रहे हैं कि इसकी मुख्य वजह गांधी परिवार ही है। अब पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी और पूर्व कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस पार्टी को गांधी-नेहरू परिवार से बाहर भी नजर डालनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पार्टी को इस पर रणनीति बनानी चाहिए कि आखिर कैसे वे नेतृत्व में बड़े बदलाव करें।

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कांग्रेस पार्टी की हालत को लेकर कहा कि कांग्रेस अभी भी मुख्य विपक्षी दल है। उसका स्थान निर्विवाद है। सवाल यह है कि इस उपस्थिति को कैसे मजबूत करना है? इस बात पर चर्चा करके नतीजे पर पहुंचना कांग्रेस के ही नेताओं का काम है। शर्मिष्ठा ने कहा कि कोई जादू की छड़ी नहीं है। पार्टी को मजबूत करने के लिए कैसे काम करना है, इस पर विचार किया जाना चाहिए।

कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को लेकर प्रणब दा की बेटी ने कहा कि एक समर्थक के तौर पर पार्टी के नेतृत्व को लेकर वे भी चिंता हैं। हालांकि अब निश्चित तौर पर समय आ गया है कि पार्टी नेतृत्व पर ध्यान दे और गांधी नेहरू परिवार से अलग हटकर देखा जाए। कांग्रेस की विचारधारा को लेकर उन्होंने कहा कि कोई विश्वास करे, या न करे लेकिन वे एक कट्टर कांग्रेसी नेता और समर्थक हैं।

राहुल के बारें क्या बोली शर्मिष्ठा

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से जुड़े सवालों पर शर्मिष्ठा ने कहा कि राहुल गांधी के बारे में बात करना मेरा काम नहीं है। किसी भी व्यक्ति को परिभाषित करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोई मेरे पिता को परेभाषित करने को कहे तो मैं उनकी भी व्याख्या नहीं कर सकती हूं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के लिए जरूरू है कि वह खुद आत्म निरीक्षण करे कि क्या वह अपनी विचारधारा को आगे ले जा पा रही है। बहुलवाद से लेकर धर्मनिरपेक्षता समावेशित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कांग्रेस के मूल रहे है लेकिन क्या कांग्रेस उन विचारधारा का पालन कर रही है।

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि लोकतंत्र में अलग-अलग विचारधाराएं होती हैं, हो सकता है कि आप उनकी विचारधारा से असहमत हों लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उस विचारधारा का अस्तित्व ही गलत है। इसलिए अहम यह है कि संवाद करें। जब मेरे पिता सक्रिय राजनीति में थे, तो उन्हें ‘सर्वसम्मति का जनक’ माना जाता था, क्योंकि उनमें संसद में गतिरोध होने पर अन्य पार्टी के सदस्यों के साथ चर्चा करने का गुण था। लोकतंत्र सिर्फ बोलने, दूसरों को सुनने के बारे में नहीं है, बल्क और भी ज्यादा बहुत महत्वपूर्ण है। उनकी विचारधारा थी लोकतंत्र में संवाद होना चाहिए।

‘इंडिया’ नहीं ‘इंडी’ गठबंधन

विपक्षी दलों के गठबंधन को लेकर भी शर्मिष्ठा ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि I.N.D.I.A गठबंधन को वह इंडिया नहीं, बल्कि इंडी गठबंधन ही कहती हैं। उन्होंने कहा कि नाम की घोषणा होने के वक्त ही मैनें कहा था कि अगर यह गठबंधन फेल हो गया तो फिर हेडलाइंस क्या होगी। इसलिए किसी भी राजनीतिक दल को देश का पर्याय नहीं होना चाहिए। इसके चलते ही मैं इंडी गठबंधन ही कहती हूं।