ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ड्रोनों की उपयोगिता को देखते हुए भारत ने सेना में ड्रोन कमांडों रखने का फैसला किया है। अगले 5 हफ़्तों में मध्य प्रदेश स्थित एक विशेष बीएसएफ स्कूल से 47 जवान ‘ड्रोन कमांडो’ बनकर निकलेंगे। यह ड्रोन वारफेयर स्कूल का पहला बैच है जिसे बल ने टेकनपुर स्थित अपने प्रशिक्षण संस्थान में स्थापित किया है। यह ऑपरेशन सिंदूर के बाद बड़े पैमाने पर ड्रोनों को इंटीग्रेट करने की व्यापक योजना का हिस्सा है।

इस महीने की शुरुआत में शुरू हुए इस स्कूल में इन जवानों को ड्रोन उड़ाने, निगरानी और युद्ध करने और अन्य मानवरहित हवाई वाहनों (UAV) का मुकाबला करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके बाद यह वरिष्ठ अधिकारियों के एक बैच को ड्रोन युद्ध रणनीति का प्रशिक्षण देगा।

‘युद्ध अब टैंकों और बंदूकों से नहीं बल्कि हवाई वाहनों से हो रहा’

बीएसएफ अकादमी के एडीजी शमशेर सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के बाद और रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में, हमने महसूस किया कि युद्ध अब टैंकों और बंदूकों से नहीं बल्कि हवाई वाहनों (Aerial Vehicles) से हो रहा है। अब तक हम एलएमजी (लाइट मशीन गन) और राइफलों के साथ युद्ध के मैदान में चल रहे थे। अब, ड्रोन को एक निजी हथियार बनना होगा।” उन्होंने आगे कहा, “हमारे जवान 15 सेकंड में एक INSAS को खोल और जोड़ सकते हैं। हम चाहते हैं कि उन्हें ड्रोन के साथ भी यही दक्षता हासिल हो। उन्हें मरम्मत, उड़ान और रक्षात्मक, आक्रामक ऑपरेशन करने में सक्षम होना चाहिए।”

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ड्रोन वारफेयर स्कूल में दो मुख्य पाठ्यक्रम हैं- ड्रोन कमांडो (कर्मियों के लिए) और ड्रोन वॉरियर्स (अधिकारियों के लिए)। इसके तीन विंग हैं- उड़ान और पायलटिंग, रणनीति (रक्षात्मक और आक्रामक अभियानों के लिए) और अनुसंधान एवं विकास। एडीजी शमशेर सिंह ने कहा, “हम अपने ड्रोन कमांडो को इस तरह प्रशिक्षित कर रहे हैं कि वे ड्रोन को हथियार की तरह ले जा सकें और उसका इस्तेमाल निगरानी और गश्त करने, दूसरे ड्रोन को निष्क्रिय करने और ज़रूरत पड़ने पर बम गिराने के लिए कर सकें।”

पाठ्यक्रम में क्या-क्या पढ़ाया जाएगा?

स्कूल के प्रशिक्षण प्रमुख ब्रिगेडियर रूपिंदर सिंह ने बताया कि पाठ्यक्रम में उड़ान, तकनीकी और सामरिक प्रशिक्षण शामिल है। बीएसएफ अकादमी के आईजी उमेद सिंह ने बताया कि ड्रोन स्कूल ऐसे प्रशिक्षक भी तैयार कर रहा है जो फील्ड यूनिट्स में जाकर ड्रोन तकनीक और संचालन सिखाएँगे। उमेद सिंह ने कहा, “अकादमी में कर्मियों और अधिकारियों के लिए सभी प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में ड्रोन पर अभिविन्यास पहले ही अनिवार्य कर दिया गया है।” यह स्वदेशी ड्रोन विकसित करने, उन्हें हथियार और बम से सुसज्जित करने, गश्त के लिए उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे लगाने के लिए दिल्ली और कानपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के साथ सहयोग पर काम कर रहा है।

बीएसएफ का पुलिस टेक्नोलॉजी इनोवेशन सेंटर भी आक्रामक अभियानों में ड्रोन के इस्तेमाल की एक परियोजना पर काम कर रहा है। बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हम इस पर काम कर रहे हैं। इसके लिए हमें तेज़ गति वाले ड्रोन की ज़रूरत है। हम तेज़ गति वाले ड्रोन में बंदूकें लगाने पर विचार कर रहे हैं। हम इस तरह के विकास के लिए अन्य संस्थानों से बातचीत कर रहे हैं।”

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