बीते सोमवार (05 अगस्त, 2019) से पहले तक जम्मू कश्मीर के लोग विशेष राज्य के दर्जे का लुत्फ उठा रहे थे। लेकिन सोमवार को मोदी सरकार ने प्रेसिडेन्सियल ऑर्डिनेंस के जरिए जम्मू कश्मीर को मिले विशेष राज्य के दर्जे को खत्म कर दिया। राज्यसभा से गृहमंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 के कई प्रावधानों को हटाए जाने का ऐलान करते हुए यह भी बताया कि अब जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया है।

जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद यहां भौगोलिक स्थिति में काफी बदलाव आया है। इसके साथ ही यहां अलग-अलग धर्म के लोगों की जनसंख्या पर भी थोड़ा असर पड़ेगा। पहले जम्मू में हिंदूओं की आबादी 62.6 फीसदी थी।

वहीं मुस्लिमों की आबादी 33.5 फीसदी जबकि यहां दूसरी जाति के लोगों की जनसंख्या 3.9 फीसदी के आसपास थी थी। वहीं कश्मीर में हिंदुओं की आबादी 2.5 फीसदी थी। यहां मुस्लिमों की आबादी 96.4 फीसदी थी। पहले के जम्मू कश्मीर राज्य में हिंदुओं की आबादी 28.4 फीसदी थी जबकि मुस्लिमों की आबादी 68.3 फीसदी थी।

लेकिन अब जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्ज हटाए जाने के बाद और इसे एक केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद यहां हिंदुओं की कुल आबादी करीब 28.8 फीसदी जबकि मुस्लिमों की आबादी 68.8 फीसदी हो गई है। इसके अलावा यहां अन्य जाति के लोगों की आबादी 2.4 फीसदी है।

यहां आपको बता दें कि लद्दाख को भी केंद्र सरकार ने एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया है। लद्दाख में हिंदुओं की आबादी 12.1 फीसदी है। जबकि मुस्लिमों की आबादी 46.4 फीसदी और यहां अन्य जाति के लोगों की आबादी 41.5 फीसदी है।

बता दें कि जम्मू कश्मीर में 53.3 फीसदी लोग कश्मीरी बोलते हैं। जबकि 20.8 प्रतिशत लोग हिंदी, 20 प्रतिशत लोग डोगरी, 1.7 फसीद लोग पंजाबी और इन सभी भाषाओं के अलावा अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले लोगों की कुल आबादी यहां 4.2 फीसदी है।

बता दें कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कई सियासी दलों ने केंद्र सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है। आम आदमी पार्टी, एआईएडीएमके और बसपा जैसी पार्टियों ने सरकार का समर्थन किया है जबकि कई अन्य दलों ने सरकार के इस फैसले पर एतराज जताया है।