Democracy Index लोकतंत्र सूचकांक में भारत 10 पायदान फिसलने के बाद अब भ्रष्टाचार अनुभव सूचकांक में भी दे का प्रदर्शन खराब है। आंकड़े बताते हैं कि हम कम लोकतांत्रिक और ज्यादा भ्रष्ट हो गए हैं। Corruption Perception Index (CPI) यानी भ्रष्टाचार अनुभव सूचकांक में भारत का दुनिया के 180 देशों में 80वां स्थान है। ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल ने यहां विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक के दौरान इस सूचकांक की रिपोर्ट जारी की है।

देश में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि वह ना खाएंगे ना खाने देंगे लेकिन उनकी लगभग 6 साल की सरकार में भ्रष्टाचार के मोर्चे पर सरकार को सफलता हाथ लगती नजर नहीं आ रही है। विशेषज्ञों और कारोबारी लोगों के अनुसार यह सूचकांक 180 देशों के सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार के स्तर को प्रदर्शित करता है।

लोकतांत्रिक मूल्यों की बात करें तो केंद्र की मोदी सरकार पर अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव के आरोप लगते रहे हैं। इसके अलावा कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35 ए हटाए जाने के बाद से वहां मीडिया को दबाए जाने के आरोप भी सरकार पर लगते रहे हैं। इन तथ्यों के आधार पर देश के लोकतांत्रिक वसूलों पर आंच आती नजर आई है।

सूचकांक में डेनमार्क और न्यूजीलैंड शीर्ष स्थान पर हैं। फिनलैंड, सिंगापुर, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, नीदरलैंड, जर्मनी और लक्जमबर्ग इस सूचकांक में शीर्ष 10 में शामिल रहे हैं। सूचकांक में 41 अंक के साथ भारत को 80वां स्थान मिला है। चीन, बेनिन, घाना और मोरक्को भी इसी रैंक में हैं। वहीं,पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को सूचकांक में 120वां स्थान मिला है।

इससे पहले लोकतंत्र सूचकांक की सूची के मुताबिक 2018 में भारत का कुल अंक 7.23 था, जो 2019 में घटकर 6.90 रह गया है। इस गिरावट का मुख्य कारण नागरिक स्वतंत्रता में कमी है।

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(भाषा इनपुट्स के साथ)