कांग्रेस के दिग्गज और राहुल गांधी के करीबी नेता माना जाने वाले मिलिंद देवड़ा ने पार्टी को अलविदा कह दिया है। अब उनका नया राजनीतिक ठिकाना एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना है। रविवार को हुए इस पूरे घटनाक्रम में जब यह जानकारी सामने आई कि वह शिंदे गुट में शामिल हो रहे हैं तो चर्चा शुरू हुई कि आखिर मिलिंद देवड़ा ने यह फैसला क्यों लिया? क्यों वह सीधे तौर पर बीजेपी में शामिल नहीं हो गए?
किस रणनीति के तहत जॉइन किया शिंदे गुट?
इन सवालों और चर्चाओं के दौरान यह निकलकर सामने आया कि मिलिंद देवड़ा का शिंदे गुट जॉइन करना अचानक हुआ फैसला नहीं है। बल्कि ऐसा भविष्य की उनकी अपनी राजनीति को देखते हुए किया गया है। दरअसल वह दक्षिण मुंबई लोकसभा से चुनाव लड़ते रहे हैं और 2004 और 2009 में यहां से सांसद भी बनते रहे हैं। उनके पिता भी इस सीट से चार बार सांसद रहे हैं।
इंडिया गठबंधन के तहत जारी सीट शेयरिंग के मुद्दे से आपको यह कहानी अच्छे से समझ आएगी। दरअसल इस सीट से फिलहाल उद्धव गुट के अरविंद सावंत सांसद हैं। कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) के बीच जारी चर्चाओं में यह सीट उद्धव गुट की ओर ही जाती दिख रही है। ऐसे में मिलिंद देवड़ा ने इसे भांप कर अपना राजनीतिक रास्ता तय कर लिया है। हालांकि इससे पहले 2019 में वह कांग्रेस के टिकट पर इस सीट से चुनाव लड़कर हार चुके हैं।
क्या लड़ेंगे चुनाव?
अब एक चर्चा यह भी है कि मिलिंद देवड़ा शिवसेना (शिंदे गुट) की ओर से चुनाव लड़ कर कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव गुट) के साझा प्रत्याशी के सामने ताल ठोक सकते हैं। हालांकि शिंदे गुट की ओर से इस तरह का कोई बयान या बात सामने नहीं आई है लेकिन यह चर्चा है कि वह अब दक्षिण मुंबई लोकसभा से चुनाव लड़ सकते हैं। इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर बैठकें जारी हैं। दिल्ली और पंजाब को लेकर आप-कांग्रेस के बीच बैठक का एक दौर पूरा हो चुका है।