Freebie row: चुनावों में मुफ्त सुविधाएं और चीजें देने की स्कीमों के ऐलान को लेकर मामला अदालत तक जा पहुंचा है। इसको लेकर कानूनी बहस जारी है, वहीं इस बीच कोरोना महामारी के दौरान लोगों को फ्री में दिए जा रहे अनाज की घोषणा को आगे बढ़ाने का भी मामला फंस गया है। दरअसल कोरोना काल में लोगों को मुफ्त में दिए जा रहे राशन को सरकार ने कोरोना की स्थिति में सुधार के बाद भी आगे बढ़ाने का फैसला किया।

बता दें कि फ्री राशन की योजना का छठा चरण इस महीने समाप्त होने वाला है। द इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि फ्री राशन योजना के एक और चरण को अनुमति देने पर चर्चा हो रही है। मुफ्त की चीजों पर जारी बहस के बीच इस योजना का विस्तार अब राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।

बता दें कि खाद्यान्न सब्सिडी को आगे बढ़ाने की चर्चा तब है जब मुफ्त के मुद्दे पर राज्यों और केंद्र के बीच एक राजनीतिक बहस छिड़ी हुई है। वैसे तो इस योजना का जुड़ाव कोरोना महामारी के समय से है लेकिन मौजूदा समय में कोरोना के सक्रिय मामलों की संख्या देशभर में 60 हजार से कम है और टीकाकरण का आंकड़ा भी 200 करोड़ को पार कर गया है। ऐसे में कुछ विशेषज्ञ फ्री राशन से सरकारी कोष पर पड़ने वाले बोझ पर चर्चा कर रहे हैं।

बीते मई में वित्त मंत्रालय के तहत व्यय विभाग ने एक आंतरिक नोट में खाद्य सुरक्षा और वित्तीय मदद के आधार पर प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना(PMGKAY) को आगे बढ़ाने के खिलाफ अपनी सलाह दी थी। बता दें कि मार्च में सरकार ने अन्न योजना को छह महीने के लिए सितंबर 2022 तक बढ़ा दिया था।

इस योजना के लिए मार्च तक सरकार ने लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपये खर्च किया और आगे बढ़ाए जाने के बाद सितंबर 2022 तक सरकार की तरफ से इसपर 80,000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। ऐसे में PMGKAY के लिए सितंबर तक कुल खर्च 3.40 लाख करोड़ रुपये होगा। फ्री राशन योजना में लगभग 80 करोड़ लाभार्थी शामिल हैं, जिन्हें हर महीने 5 किलो राशन मुफ्त में मिलता है।

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने फ्री की चीजों को लेकर कहा था कि सरकार का काम लोगों के वेलफेयर के लिए काम करना है। लेकिन चिंता की बात यह है कि यह पैसा जनता के हित में किस तरह से खर्च किया जाए। फ्री के उपहार देने का मामला काफी उलझा हुआ है। सवाल इस बात का भी है कि क्या इस मामले में अदालत को कोई फैसला देने का अधिकार है?