चुनाव रणनीतिकार से राजनीतिक में आये प्रशांत किशोर ने कहा है कि मोदी सरकार के खिलाफ 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष की मुहिम केवल संख्या बल से सफल नहीं हो सकती है। उसको धरातल पर कुछ ठोस करना होगा। उन्होंने कहा कि जनता के सामने एक नरेटिव बताना होगा। जनता को विश्वास दिलाना होगा कि विपक्ष दलों का गठबंधन केवल गठबंधन नहीं है, बल्कि यह अगले पांच साल तक के लिए जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने की पूरी तैयारी करके आ रहा है, तभी कुछ संभव है। केवल इस भरोसे से ही विपक्ष में जनता कुछ संभावनाएं देखेगी। आईपैक के संस्थापक प्रशांत किशोर ने कहा, “बिना किसी जमीनी ताकत के केवल दलों की संख्या देखकर लोग समर्थन नहीं देंगे।”
विपक्ष को जेपी आंदोलन की तरह सत्ता के खिलाफ लहर पैदा करना होगा
उन्होंने कहा कि संयुक्त विपक्ष तभी काम कर सकता है, जब यह सत्ता के खिलाफ एक व्यापक लहर पैदा कर सके। उन्होंने बताया कि जनता पार्टी वाला प्रयोग तभी सफल हुआ था, जब उसके पीछे लोगों के मन में आपातकाल की त्रासदी थी और जयप्रकाश नारायण का जन आंदोलन था। वीपी सिंह के शासनकाल में बोफोर्स घोटाले ने लोगों के मन में कांग्रेस के प्रति गुस्सा भर दिया था और इससे लोग कांग्रेस के खिलाफ मताधिकार का प्रयोग किया था।
प्रशांत किशोर राजनीतिक सलाहकार का अपना काम छोड़कर ‘जन सुराज’ नाम से अभियान चला रहे हैं। इसके तहत वे बिहार में यात्रा निकाल रहे थे। इस बीच चोट की वजह से वे अपनी यात्रा कुछ दिन के लिए रोक दिये थे। एक महीने के विश्राम के बाद उन्होंने उसे फिर से शुरू कर दिया है। बिहार के समस्तीपुर जिले में मीडिया से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि महाराष्ट्र में एनसीपी में टूट और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ सीबीआई की चार्जशीट को ज्यादा तवज्जो देने की जरूरत नहीं है।
महाराष्ट्र की सियासी घटनाक्रम के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह वहां की जनता तय करेगी कि क्या चीज उनके हित में और क्या चीज नहीं है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर कुछ विधायकों के चले जाने से किसी पार्टी का आधार खत्म नहीं हो जाता है। उन्होंने कहा कि ज्यादा कुछ गंभीर असर एनसीपी पर पड़ता नहीं दिख रहा है।
उन्होंने इन खबरों को भी ज्यादा महत्व देने से इनकार कर दिया कि महाराष्ट्र की घटना से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जदयू में भी ऐसा होने की चिंता सता रही है।
