सियासी दुश्मनी में अक्सर परंपरा को नहीं छोड़ने की बात कही जाती है, लेकिन बिहार सरकार ने इस बार इसको बदल दिया। पिछले करीब 16 साल से हर साल बिहार के भागलपुर के बागों के ताजे जर्दालु आम राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, पीएम और अन्य विशिष्ट लोगों को भेजे जाते रहे हैं। सरकार किसी की भी हो, लेकिन परंपरा निभाई जाती रही है, इस बार इस पर ब्रेक लग गया। अभी हाल ही में तमाम सियासी विरोधों के बावजूद पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आम के पैकेट प्रधानमंत्री समेत अन्य लोगों को भेजा था। यहां तक कि बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने भी पश्चिम बंगाल सरकार को शिष्टाचार के तहत कई टोकरी आम भेजा था।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (Bangladesh PM Sheikh Hasina) ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को 600 किलो आम भेजे हैं। कोलकाता स्थित बांग्लादेश के डिप्टी हाई कमिशन की तरफ से जानकारी दी गई है कि कूटनीतिक प्रयासों के मद्देनजर शेख हसीना ने हिमसागर आम और लंगड़ा आम ममता बनर्जी को गिफ्ट किए हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने भी पहले इसे भेजने की तैयारी की थी, लेकिन बाद में मन बदल दिया। इससे उस किसान को भी हजारों रुपये का नुकसान हो गया, जिसके बाग से आम हर साल भेजे जाते थे। किसान को पहले आम की टोकरी भरकर तैयार करने को कहा गया था। किसान को 2500 टोकरी आम को पैक करने को कहा गया था।

इसकी तैयारी के लिए उसने 70 मजदूरों को किराये पर बुलाकर काम पर लगाया था। करीब 1200 टोकरी पैक भी हो गया था, लेकिन ऐन मौके पर एक अधिकारी ने उसको पैक नहीं करने का फरमान सुना दिया।

इतना ही नहीं अधिकारी ने फोन पर यह भी कहा, “ऊपर से आदेश आया है। आम भेजने का प्लान रद्द हो गया है।” इससे उस किसान का भारी नुकसान हो गया।

जदयू ने सफाई में कहा- आम की क्वालिटी अच्छी नहीं थी, इसलिए नहीं भेजा

किसान ने अच्छी किस्म के रसीले आमों को खरीदने में कई लाख रुपये खर्च किये थे। अब भेजने की योजना रद्द होने से उसे आमों को खरीद दाम से आधे दाम पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। जद (यू) ने योजना रद्द होने पर सफाई देते हुए कहा, “इस बार आम की गुणवत्ता उस स्तर की नहीं थी जो पहले होती थी। इसलिए, हम घटिया गुणवत्ता के आम नहीं भेजना चाहते हैं। अगली बार जब भी अच्छी गुणवत्ता वाले आम आएंगे, हम उसे भेजेंगे।” जद(यू) के राष्ट्रीय महासचिव राजीव रंजन ने किसी के खिलाफ किसी भी व्यक्तिगत दुश्मनी से इनकार करते हुए कहा।