जम्मू कश्मीर के सियासी दलों ने एक बार फिर राज्यपाल सत्यपाल मलिक के प्रति नाराजगी जताई है। पिछले महीने राजनीतिक घटनाक्रम के केंद्र में रही जम्मू कश्मीर राजभवन की फैक्स मशीन एक बार फिर सुर्खियों में हैं और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्लाह ने दावा किया कि उन्होंने रविवार (2 दिसंबर) को राज्यपाल सत्यपाल मलिक को स्थायी आवास प्रमाण-पत्र से संबंधित एक पत्र भेजने की कोशिश की लेकिन फैक्स मशीन अब भी काम नहीं कर रही।
प्रदेश कांग्रेस और पीपुल्स कांफ्रेंस ने भी कहा कि राज्य में स्थायी निवास प्रमाणपत्र (पीआरसी) प्रदान करने की प्रक्रिया में किसी तरह का बदलाव उन्हें अस्वीकार्य होगा। भाजपा की सहयोगी पार्टी ने पीपुल्स कांफ्रेंस ने भी इस मामले पर नसीहत दे डाली। इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता कविन्द्र गुप्ता ने कहा कि राज्य प्रशासन पीआरसी प्रदान करने की प्रक्रिया आसान करने पर विचार कर रहा है। लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत इसी जारी करने के लिए एक समय सीमा तय की जानी चाहिए।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री राज्य में स्थायी आवास प्रमाण-पत्र दिये जाने की प्रक्रिया में प्रस्तावित बदलावों से जुड़ी खबरों को लेकर अपनी चिंता जाहिर करते हुए मलिक को एक फैक्स भेजने की कोशिश कर रहे थे। अब्दुल्लाह ने एक ट्वीट कर कहा, ‘‘मैं जम्मू कश्मीर के राज्यपाल को एक खत फैक्स करने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन फैक्स मशीन अब भी काम नहीं कर रही है। फोन पर जवाब देने वाले आॅपरेटर ने कहा कि रविवार होने की वजह से फैक्स आॅपरेटर छुट्टी पर है। मैं कल फिर से प्रयास करूंगा इस बीच मैं इस खत को सोशल मीडिया पर डालने के लिए मजबूर हूं।’’ उन्होंने 21 नवंबर की एक पोस्ट को रीट्वीट करते हुए कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर राजभवन को तत्काल एक नई फैक्स मशीन की जरूरत है।
उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘हम ऐसे समय आपको पत्र लिखने के लिए बाध्य हैं जब आप स्थायी निवासी प्रमाणपत्र नियमों में परिवर्तन करने पर विचार कर रहे है। हमारी पार्टी नेशनल कान्फ्रेंस का विचार है कि यह राज्य की जनसांख्यिकी बिगाड़ने का एक प्रयास है और यह जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे के लिए हानिकारक है।’’ उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एसएसी राज्य में संस्थानों के कामकाज और प्रक्रियाओं में एकपक्षीय रूप से परिवर्तन ला रहा है।’’ उन्होंने कहा, यह लोकतंत्र और भागीदारी शासन की भावना और सिद्धांत के खिलाफ है। (मीडिया) खबरों में कहा गया है कि ये प्रमाणपत्र जारी करने से संबंधित प्रक्रियाओं में परिवर्तन के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश पहले ही जारी कर दिये गए हैं। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य में किसी भी राजनीतिक पार्टी या अन्य हितधारक के साथ कोई व्यापक मशविरा नहीं किया गया।’’
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इससे संवेदनशील जम्मू कश्मीर में शांति भंग हो सकती है। उन्होंने एसएसी के कथित कदम के समय की ओर भी इशारा किया। उन्होंने कहा कि विधानसभा भंग है और चुनाव अगले कुछ महीनों में होने वाले हैं। इससे आपके प्रशासन के कदम पर सवाल उठाये जा सकते हैं क्योंकि हमारा मानना है कि सरकार की भूमिका की प्रकृति एक कार्यवाहक सरकार की अधिक है। अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि आप इस संबंध में अपने निर्णय को वासप लेंगे। हम इस कदम पर अपनी अप्रसन्नता दर्ज कराना चाहते हैं और इसका विरोध करने के लिए सर्वसम्मति से किये गए निर्णय से अवगत कराना चाहते हैं।
नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) ने रविवार कहा कि इस प्रक्रिया में बदलाव लाने वाले किसी भी कदम का विरोध किया जाएगा। कांग्रेस के प्रवक्ता ने यहां कहा, ‘‘पीआरसी(नियमों) में किसी तरह का बदलाव कांग्रेस पार्टी को अस्वीकार्य होगा।’’ प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने चेतावनी दी कि पीआरसी नियमों में किसी तरह का बदलाव राज्य के हित में नहीं होगा और इसके गंभीर परिणाम होंगे। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘‘यह कदम राज्य में समस्या को और बढ़ाएगा, इसलिए शांति व्यवस्था के व्यापक हित में यह कदम उठाने से बचना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि राज्य विधानसभा भंग कर दी गई है। राज्यपाल नीत प्रशासन के पास राज्य के संवैधानिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
वहीं, पीपुल्स कांफ्रेंस प्रमुख सज्जाद लोन ने भी कहा है कि प्रशासन को शासन के कार्य तक खुद को सीमित रखना चाहिए। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि पीआरसी या जम्मू कश्मीर बैंक से जुड़ा कोई भी संरचनात्मक बदलाव स्वीकार्य नहीं होगा। गौरतलब है कि संविधान का अनुच्छेद 35 ए जम्मू कश्मीर विधानसभा को यह शक्ति देता है कि वह राज्य के स्थायी निवासियों को परिभाषित करे, जो विशेष अधिकारों और विशेषाधिकारों के लिए योग्य हैं।