ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमी (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि भारत सरकार शिक्षा में भेदभाव कर रही है। बीएचयू का बजट दोगुना और एएमयू और जामिया का बजट 15 फीसदी घटा दिया। इसके अलावा पीएम मोदी का कहना है कि देश के कुल 20 करोड़ मुसलमानों में जो सबसे गरीब 80 फीसदी पसमांदा मुसलमान हैं, मुझे वहां तक पहुंचना है तो ऐसे कैसे होगा।
इंडिया टीवी पर एआईएमआईएम के वारिस पठान ने पूछा कि सरकार शिक्षा में बजट घटाती है और फिर कहती है कि हमें गरीब मुसलमानों की चिंता है। दोनों बातें एक साथ कैसे हो सकता हैं? इसको लेकर डिबेट में एंकर सौरव शर्मा ने जब इस सवाल को राजनीतिक विश्लेषक प्रो. संगीत रागी से पूछा तो उन्होंने कहा, “अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और जामिया मिलिया इस्लामिया संसद के एक्ट से बनी यूनिवर्सिटी है, मुसलमानों की यूनिवर्सिटी नहीं है। ये माइनारिटी इंस्टीट्यूशन है या नहीं है, यह मामला कोर्ट में है।”
जामिया यूनिवर्सिटी से कोई कॉलेज एफिलिएटेड नहीं
उन्होंने कहा कि जामिया यूनिवर्सिटी से कोई कॉलेज एफिलिएटेड नहीं है। उसका एक छोटा सा कैंपस है। जो बजट आवंटित किया जाता हैं वह आनुपातिक रूप से उन विश्वविद्यालयों से बहुत ज्यादा है जिनसे चार-चार सौ और 11-11 सौ कॉलेज जुड़े हैं। आप उनकी तुलना जामिया से करते हैं। बीएचयू की तुलना जामिया से करते हैं। 50 जामिया यूनिवर्सिटी बीएचयू में समा जाए। इतने कॉलेज बीएचयू से जुड़े हैं।
कहा कि आप हर बात को इस तरह से न देखिए कि मुसलमानों के साथ कम हुआ, मुसलमानों के साथ गलत हुआ। शिक्षा का बजट इस आधार पर तय होता है कि कौन सी यूनिवर्सिटी हमें कितना डिलीवर कर रही है, उसकी कितनी आवश्यकता है, रिसर्च आउटपुट कितना निकल रहा है।
पीएफआई को प्रश्रय देने का केंद्र बना हुआ है एएमयू
बोले- वहां हिंदू भी पढ़ते हैं और मुसलमान भी पढ़ते हैं। चाहे वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी हो या जामिया हो, वहां दोनों धर्मों के लोग साथ-साथ पढ़ते हैं। आप इस आधार पर निष्कर्ष न निकालिए कि जामिया के साथ ऐसा किया जा रहा है। कहा, “एक समय था जब अलीगढ़ यूनिवर्सिटी भारत विभाजन के लिए बहुत बड़ा केंद्र बन गया था। यह भी सच्चाई है कि आज के दिन भी एएमयू पीएफआई और इस तरह की गतिविधियों में लिप्त लोगों के लिए प्रश्रय केंद्र बना हुआ है।”
जामिया टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. माजिद जामिल ने कहा, “जो बजट हमने डिमांड की थी वह 469 करोड़ 2020-21 में था। उसमें से 2021-2022 69 करोड़ कम होकर 411 करोड़ मिला है। जामिया के अंदर के हालात जो हमें पता है, अब भी 70 करोड़ रुपए बकाया है। हमारे यहां सेलरी के अलावा कोई दूसरा खर्च नहीं हो पा रहा है।”