हिमाचल प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। बर्फ से लकदक पहाड़ों से पूरे प्रदेश में ठंड का प्रकोप है, मगर इस खून जमा देने वाली ठंड में भी प्रदेश में चुनावी गर्मी लगातार बढ़ रही है। दल नेता कार्यकर्ता सबने कमर कस ली है, मैदान में डट गए हैं. रैलियों बैठकों का दौर शुरू हो चुका है।

सीटों के हिसाब से चार संसदीय क्षेत्रों वाला हिमाचल प्रदेश भले ही राष्ट्रीय परिदृश्य में छोटा सा प्रदेश है, मगर वर्तमान में इस प्रदेश की राजनीति पर पूरे देश की निगाहें टिकी हैं। कारण यह है कि इसी प्रदेश के नेता जगत प्रकाश नड्डा इस वक्त भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। हमीरपुर से सांसद अनुराग सिंह ठाकुर का केंद्र सरकार में कद किसी से छुपा नहीं है।

वे संसद के अंदर हो या बाहर हमेशा ही कांग्रेस पर बड़े हमले करते हैं। बीते चुनावों में तो उन्हें हराने के लिए स्वयं राहुल गांधी उनके संसदीय क्षेत्र में प्रचार के लिए आए थे और लगातार हमीरपुर के चुनाव को लेकर वह सतर्क रहे भले ही इसके बावजूद भी वहां से कांग्रेस को करारी हार मिली थी।

हिमाचल प्रदेश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी घर रहा है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिमाचल को अपना दूसरा घर बताते हैं। शिमला में कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी व दिग्गज नेता प्रियंका गांधी का घर भी है। ऐसे में दोनों ही दलों के लिए हिमाचल प्रदेश किसी बड़े राज्य से कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। यहां की हार जीत का संदेश पूरे देश में जाता है।

हिमाचल प्रदेश में राजग या इंडिया गठबंधन जैसी कोई बात नहीं है, यानी सीटों के बंटवारे का कोई सिर दर्द नहीं है। भाजपा कांग्रेस के बीच ही सीधा मुकाबला होगा। भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा तीन दिन तक कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में ही डटे रहे। रैली भी की और मैराथन मंथन भी भाजपा नेताओं के साथ हुआ। पूरी तरह से चुनावी बिसात को बिछाकर ही लौटे। इससे पहले वे शिमला, हमीरपुर व मंडी संसदीय क्षेत्रों में दौरा कर चुके हैं।

इसी बीच कांग्रेस भी चुनावी तैयारी में जुट गई है। कांग्रेस अध्यक्ष एवं मंडी से सांसद प्रतिभा सिंह, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू व उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री सोमवार को दिल्ली में आलाकमान से मिले और संभावित उम्मीदवारों पर मंथन किया। सूत्र बताते हैं कि मंडी से प्रतिभा सिंह का नाम लगभग तय है। बदलाव होगा तो उनके बेटे विक्रमादित्य को उतारा जा सकता है। बाकी तीन सीटों पर विधायक मंत्रियों को ही झोंकने की नीति बनाई गई। यानी कांग्रेस ने भी मुकाबले के लिए पूरी कमर कस ली है। वह प्रदेश में अपनी सरकार होने का पूरा लाभ लेने की फिराक में है।

भाजपा में मंडी को लेकर स्थिति इतनी साफ नहीं है। 2019 को यहां से रामस्वरूप शर्मा उम्मीदवार थे। उपचुनाव में ब्रिगेडियर खुशाल सिंह ठाकुर को आजमाया गया, मगर प्रदेश व देश में भाजपा नीत सरकार होते हुए भी वह कुछ हजार वोटों के अंतर से हार गए। अब उनको दोबारा आजमाने की उम्मीद कम लग रही है।

अरसे से सक्रिय पूर्व मुख्यमंत्री नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर जो सराज से विधायक हैं, उनका लोकसभा का चुनाव लड़ने का मन नहीं है। सिने तारिका कंगना रणौत का नाम भी आ रहा है। जगत प्रकाश नड्डा का नाम भी बीच में चलने लगा था, और भी कुछ नाम आ रहे हैं मगर स्थिति स्पष्ट नहीं है। आलाकमान जिसके नाम पर मुहर लगा देगा, उसे चुनाव लड़ना ही होगा। हमीरपुर से अनुराग ठाकुर का नाम तो तय माना जा रहा है, मगर कांगड़ा और शिमला में भाजपा अपनी चौंकाने वाली रणनीति के तहत कुछ भी कर सकती है।