श्रीनाथ राव, मुंबई
महाराष्ट्र के पुणे में बीते साल दिसंबर महीने में आयोजित डीपीपी और आईजीपी के वार्षिक कॉन्फ्रेंस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया था। शीर्ष अधिकारियों की इस बैठक में ‘देश विरोधी गतिविधियों में शामिल’ लोगों पर नजर रखने के लिए कई कदम उठाने की पहल की गई थी। इसमें यूनिवर्सिटी में होने वाली घटनाओं और वाट्सएप ग्रुप्स पर नजर रखने की भी बात की गई थी।
बैठक में शामिल होने वाले और निर्देशों को देखने वाले पुलिस अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इसका उद्देश्य विश्वविद्यालय परिसरों में होने वाली गतिविधियों पर नजर बनाए रखना है। इस कॉन्फ्रेंस में शामिल होने वाले एक डीजीपी ने बताया, “सम्मेलन में छात्रों के संपर्क में रहने, किसी भी संभावित संवेदनशील स्थिति की पहले से जानकारी रखने और उसकी तैयारी करने पर जोर दिया गया है। हमें ऐसी स्थिति में नहीं फंसना चाहिए जहां कोई हमें हैरान कर दे।”
ये निर्देश ‘एक्शन पॉइंट्स’ की एक लंबी लिस्ट का हिस्सा हैं, जो हाल ही में पुणे में 6 से 8 दिसंबर 2019 के बीच इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च में तीन दिवसीय सम्मेलन के बाद देश भर के पुलिस बलों को प्रसारित किए गए थे। प्रत्येक पुलिस स्टेशन को इन उद्देश्यों के संबंध में पूरे साल उठाए गए कदमों को सूचीबद्ध करना आवश्यक है। तब की गई कार्रवाई की रिपोर्ट को प्रत्येक राज्य और एजेंसी द्वारा इक्ट्ठा किया जाएगा और इसका विश्लेषण होगा। और अगले सम्मेलन से पहले गृह मंत्रालय को दिया जाएगा।
एक अन्य वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने कहा कि व्हाट्सएप चैट पर निगरानी बनाए रखना स्टैंडर्ड पुलिसिंग प्रैक्टिस है। उन्होंने कहा, “हर स्तर पर हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारे लोग विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा चलाए जा रहे व्हाट्सएप समूहों का हिस्सा हो। ये ग्रुप्स दक्षिणपंथी और वामपंथी विचारधारा के संगठनों के भी हो सकते हैं। मुसलमानों, दलितों, व्यवसायियों, ट्रेड यूनियनों, संघों, छात्रों, अन्य संगठनों और प्रदर्शनकारियों के भी हो सकते हैं।”
पुलिस अधिकारियों को जो निर्देश दिए गए हैं, उसमें पब्लिक का मूड जानने के लिए उनके ट्वीट्स और रीट्वीट पढ़ना, हेट स्पीच और दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाले भाषण के ऊपर कार्रवाई, स्कूलों में पुलिस की उपस्थिति को बढ़ाना, छात्रों को पुलिस स्टेशन ले जाकर कार्यप्रणाली के बारे में बताना इत्यादि शामिल है।