Nirbhay Thakur, Arnabjit Sur

दिल्ली में हुए दंगों के चार साल पूरे हो गए हैं। पुलिस ने दंगें, आगजनी और गैरकानूनी सभा के 695 मामले दर्ज किये थे। इसमें से 88 में फैसले सुनाए जा चुके हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार फैसले वाले 85 मामलों को देखा, जिसमे से 68 में बरी (80%) और 16 में सजा (20%) हुई।

पुलिस सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 695 मामलों में से 367 (53%) में चार्जशीट दायर किए गए हैं। 14 मामलों में आरोपियों को बरी कर दिया गया, चार मामलों को रद्द कर दिया गया है और पांच मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दायर की गई है।

पुलिस सूत्रों ने यह भी बताया कि 695 मामलों में 47 लोगों को दोषी ठहराया गया जबकि 183 को बरी कर दिया गया। वहीं 1,738 लोग जमानत पर हैं जबकि 108 लोग जेल में हैं। 18 बरी किए गए मामलों में अदालतों ने कहा कि पुलिस ने काफी देरी के बाद आरोपियों की पहचान की। कई मामलों में पुलिस स्टेशन रिकॉर्ड के अभाव में उनकी गवाही संदिग्ध हो गई।

बरी किए गए 13 मामलों में पुलिस गवाहों ने आरोपियों की पहचान करते हुए कहा कि वे उन्हें दंगे भड़कने से पहले से जानते थे। हालांकि उनकी गवाही मुकदमे की कसौटी पर खरी नहीं उतरी। 7 बरी किए गए मामलों में अदालत ने कहा कि गवाहों ने सुनवाई के दौरान कहा कि वे याददाश्त खोने या अन्य बीमारियों से पीड़ित थे, जिससे उनके लिए आरोपियों की पहचान करना मुश्किल हो गया था।

एक में, केवल एक ही सार्वजनिक गवाह था जिसकी गवाही को अदालत ने ठोस नहीं पाया। दूसरे में, अदालत को संदेह था कि पुलिस गवाह, जो मामले में एकमात्र प्रत्यक्षदर्शी थे, घटना के समय उपस्थित थे। एक बरी मामले में, एक वीडियो को सबूत के रूप में नहीं माना गया क्योंकि इसमें छेड़छाड़ के लिए परीक्षण नहीं किया गया था और वीडियो के लिए एफएसएल रिपोर्ट गायब थी।

अदालत ने कहा है कि एकमात्र गवाह को जांच अधिकारी द्वारा प्रभावित किया जा सकता है। अदालत के अनुसार आरोपी को पहले ही इसी तरह के आरोपों के साथ एक अन्य एफआईआर में भी दोषी ठहराया गया था। साथ ही अदालत ने कहा कि एक पुलिस गवाह (जो चश्मदीद था) ने आरोपी की पहचान की, लेकिन उसे उस जगह से अलग स्थान पर देखा जहां घटना हुई थी। चार बरी मामलों में अदालत ने कहा कि पुलिस ने सामान्य तरीके से गवाही दी।

68 में से 45 बरी होने के मामले में गवाह (कुछ या सभी) मुकर गए। तीन बरी मामलों में पुलिस चश्मदीदों का पता नहीं लगा सकी। इसके अलावा बरी किए गए मामलों में गवाह आरोपियों की पहचान करने में असमर्थ थे। इसको लेकर दिल्ली पुलिस से इंडियन एक्सप्रेस ने संपर्क करना चाहा लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला।

पुलिस सूत्रों ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि 695 मामलों के अलावा 62 अन्य दंगों के मामले क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दिए गए। मामले कुल मिलाकर 757 हो गए। सूत्रों के अनुसार 62 मामलों में से 39 में आरोप तय किए गए और 424 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। एक व्यक्ति को दोषी ठहराया गया, 331 लोग जमानत पर बाहर हैं और 52 अभी भी जेल में हैं।